पृष्ठ:सह्याद्रि की चट्टानें.djvu/४०

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ने सोलह प्रहर के अन्तर में ही असहाय शिवाजी को सर्वसाधन-सम्पन्न बना दिया, जिसके बल पर वे अपना महाराज्य कायम कर सके । १६ शाहजी अन्धे कुए में शाही खजाना लूटकर शिवाजी ने चढ़ी रकाब कंगोरी, टोंगटकोट, भोरपा, कादरी और लोहगढ़ को भी कब्जे में कर लिया। और कोंकरण- प्रदेश को लूट कर अपरिमित सम्पत्ति जमा कर ली। कल्यान पर चढ़ाई करके मुल्ला अहमद को कैद कर लिया। इससे इस इलाके के सब किले शिवाजी के हाथ आ गए। शिवाजी ने मालूजी सोनदेव को इस नए इलाके का सूबेदार नियत कर दिया। मालगुजारी का प्रबन्ध प्राचीन रोति पर आरम्भ किया, मन्दिरों की जो सम्पत्ति मुसलमानों द्वारा जब्त करली गई थी, वह फिर मन्दिरों को दे दी गई। कई मोर्चों पर नए किले बनाए गए। इन सब खबरों को सुनकर आदिलशाह तिलमिला उठा । इस समय शाहजी कर्नाटक में बड़े जोरों से युद्ध कर रहे थे। उसने तत्काल उन्हें कैद करने और उनकी सब सम्पत्ति जब्त करने की आज्ञा दे दी। परन्तु शाहजी को कैद करना आसान काम न था। अतः उसने अपने विश्वस्त अनुचरों को भेजा कि वे किसी तरह युक्ति से उन्हें कैद करलें । इन व्यक्तियों में एक वाजी घोरपांडे था। उसने शाहजी को दावत का निमन्त्रण देकर अपने घर बुला लिया, और कैद कर लिया। तथा रातों-रात पैरों में बेड़ी डालकर हथिनी के बन्द हौदे पर बीजापुर रवाना कर दिया। वादशाह ने उनकी बड़ी लानत-मलामत की और डराया-धमकाया। परन्तु शाहजी ने कहा-"मुझे शिवाजी के सम्बन्ध में कुछ भी ज्ञात नहीं है, न मेरा कोई शिवाजी से सम्बन्ध ही है, वह जैसा आपसे वागी है, वैसाही मुझसे भी बागी है।" ३८