पृष्ठ:सह्याद्रि की चट्टानें.djvu/९७

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मित्रता करके उसे जमीन, वन नीर दान मामा मात्रा था। जब शिवाजी के साथ मनिन हो गई को जमिन बीमाचल में मंगटिन का महनी नेना बाली हो गई। ॐ त्रिी नकिनी मनिपान में लगाला अत्यावश्यक या मालिक आगे-पीने की वकानः लेकर जयनिह ने बीजार पर अभियान बग्ने की अनी पुन्दर सन्धि के अनुसार शिकानी ने यह वायदा किया था कि यदि मुगदग- पुर पर आक्रमण करने तो दमाही मनमत्रवार होने के नाते मात्र शम्नानी २,००० कुमार कर मुमों की सहायता करेगा ! और का स्वयं भी ३००० चुने हा मावलियों को लेकर मुल नेला सानही जाएंगे। जमिह ने बीजापुर के प्राधिन अन्य राज्यों को भी न देने का प्रलोभन देवर तोड़ दिया। और नत्र इमलीया तिन न हो चक्री को ९ नम्बर, मन १६६५ को उसने की नकार उटाई। उनके माद ४० हार काही मत। रिन् नेताजी पारकल के नेतृत्व में हद्वार मात्र युद्धकार और हमार पैदल सिपाही उसके साथ थे। चढ़ाई के पहरे महीने में जद विना रोक-टोक आगे बढ़ता चला गया। राह में पड़ने वाले बीजानी- पल्टन, पथरात्रा, खटाव और नंगलविदह, जो बीजापुर ने केवल 2 मील ही उनर में थे, एक-एक करके खाली कर दिए गए। अन्नतः पानी मुठभेड़ २५ दिसम्बर, १६६५ को हुई। शाही सेना का नन्द मियानी और दिलेरखां कर रहे थे और बीमारी मेना के १२ हजार योडानेगानि सरजालां और खवास्तां के आधीन मानने आए। बीजापुरी मेला में मराठे सरदार-मल्यास के शादऋरान और दिवानी में सोते नाई व्यंकोजी, उनके साथ थे। वीजापुरी सेना ने दिल्ली के समक्त घुड़सवारों के नीचे पालन से बचने के लिए कज्जाकों की युद्ध-शैली का अनुसरण किया और दल बनाकर दौड़ते-भागते लड़ते रहे। संध्या पड़ते-पड़ते वीजापुरी सेना युद्ध-