पृष्ठ:साम्प्रदायिकता.pdf/२७

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कारण परिस्थितियां अलग-अलग हैं। इसलिए संस्कृति भी और सांस्कृतिक विश्वास, मान्यताएं व धारणाएं भी अलग अलग होंगी। जो लोग समुद्र के पास रहते हैं और जिनके पास खाने के लिए मुख्य रूप से मछली ही है, वहां मांस खाने को निषिद्ध करना या फिर मांसाहारी को निकृष्ट मानना व शाकाहारी को श्रेष्ठ मानना अनुकूल नहीं होगा। मरुस्थल क्षेत्रों में जहां लकड़ी की कमी होती है, वहां शव को जलाने के बजाए दफ्नाया जाएगा। संस्कृति का निर्माण क्षेत्र विशेष की परिस्थिति व जलवायु पर निर्भर करता है। जब किसी संस्कृति को श्रेष्ठ या निकृष्ट माना जाता है, वहीं से अवैज्ञानिक सोच की शुरूआत हो जाती है और साम्प्रदायिक सोच में बदलने की गुंजाइश बनी रहती है। अपनी संस्कृति की मान्यताओं व विश्वासों को दूसरों के मुकाबले में श्रेष्ठ व सर्वोच्च मानना व यह सोचना कि दूसरे भी इसको अपनाएं व उन पर इसे लागू करने की कोशिश करना साम्प्रदायिक सोच को अपनाना है। इसीलिए साम्प्रदायिक शक्तियां हमेशा सांस्कृतिक श्रेष्ठता का अहसास व उन्माद पैदा करती हैं। हिटलर का नाजीवाद' और मुसोलिनी का फासीवाद इसी श्रेष्ठता के सिद्धांत पर टिका था। अपनी नस्ल, भाषा व धर्म को श्रेष्ठ मानना व दूसरों को इनका अनुकरण करने के लिए हिंसा या दबाव का सहारा लेना साम्प्रदायिकता का लक्षण है। साम्प्रदायिकता लोगों के धार्मिक विश्वासों का शोषण करके फलती- फूलती है इसलिए इसका जोर इस बात पर रहता है कि व्यक्ति की पहचान धर्म के आधार पर हो । न केवल व्यक्ति की पहचान बल्कि वह संस्कृति व भाषा को भी धर्म के आधार पर परिभाषित करने की कोशिश करती है। धर्म को जीवन की सबसे जरूरी व सर्वोच्च पहचान रखने पर जोर देती है । इसलिए 'हिन्दू संस्कृति' और 'मुस्लिम संस्कृति' जैसी शब्दावली का प्रयोग किया जाता है। धर्म के आधार पर संस्कृति की पहचान करना साम्प्रदायिकता की शुरूआत है। साम्प्रदायिकता की विचारधारा संस्कृति और धर्म को एक दूसरे के पर्याय के तौर पर प्रयोग करके भ्रम पैदा करने की कोशिश करती है जबकि धर्म, संस्कृति का एक अंश मात्र है। बहुत सी चीजों के समुच्चय योग से संस्कृति बनती है और धर्म भी उसमें एक तत्त्व होता है। धर्म संस्कृति का एक अंग है, धर्म में सिर्फ आध्यात्मिक विचार, आत्मा-परमात्मा, परलोक, पूजा-उपासना आदि ही आते हैं। साम्प्रदायिक शक्तियां संस्कृति के अन्य सभी तत्त्वों के ऊपर धर्म को रखती हैं । संस्कृति को धर्म के साथ जोड़कर साम्प्रदायिक विचारधारा एक बात और जोड़ती है कि एक धर्म के मानने वाले लोगों की संस्कृति एक होती है, उनके हित एक जैसे होते हैं। ऐसा स्थापित करने के बाद फिर वे एक कदम 28 / साम्प्रदायिकता