पृष्ठ:साम्प्रदायिकता.pdf/३२

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बेजोड़ है। दादू दयाल ने हिन्दू-मुस्लिम एकता के बिन्दुओं की पहचान करवाई। रहीम की कृष्ण भक्ति और तुलसीदास से दोस्ती तो सभी जानते हैं। इस तरह एक लम्बी परम्परा है जो हिन्दू-मुस्लिम एकता की कड़ियां हैं। इस संस्कृति के निर्माण में सूफी संतों के अलावा कुछ शासकों का योगदान है, जिन्होंनें अपनी राजसत्ता चलाने के लिए ऐसी नीतियां अपनाई, जिससे कि किसी धर्म के मानने वालों की भावनाओं को ठेस न लगे। दोनों धर्मों के विश्वासों का आदर किया। बाबर ने अपने बेटे हुमायुं को सभी धर्मों का आदर करने की नसीहत दी। हुमायुं को शेरशाह सूरी से एक हिन्दू ने ही बचाया था, हुमायुं को मेवाड़ की रानी ने राखी भेजी थी। अकबर तो पैदा ही हिन्दू घराने में हुआ था और वह सभी धर्मों की शिक्षाओं को सुनता था। धर्मों की कट्टरता से तंग आकर उसने एक नया धर्म चला दिया था। उसने ऐसे अनेक काम किए जिससे यह कहा जा सकता है कि वह सभी धर्मों का आदर करता था। औरगंजेब जिसे सबसे अधिक कट्टर माना जाता है उसने इलाहाबाद नगर पालिका में पड़ने वाले सोमेश्वर नाथ मंदिर को, उज्जैन में महाकेश्वर मंदिर को, चित्रकूट में बाला जी मंदिर, गुहावटी में उमानन्द मंदिर, शत्रुंजय में जैन मंदिर और उतरी भारत में फैले गुरुद्वारों को दान दिया। शिवाजी की सेना में तो मुसलमान बहुत अधिक और बहुत ऊंचे पदों पर थे। गुरु गोविन्द सिंह के जीवन में कई ऐसी घटनाएं हैं जहां मुसलमानों ने उनकी मदद की। टीपू सुल्तान और बहादुरशाह जफर, महारानी लक्ष्मीबाई के जीवन से जुड़ी घटनाओं से हिन्दू मुस्लिम की एकता, आपसी विश्वास और धार्मिक सद्भाव को आसानी से समझा जा सकता है । बहुत सी परम्पराएं व त्यौहार ऐसे हैं, जो हिन्दुओं के हैं और मुसलमान उनमें बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। बहुत सी परम्पराएं ऐसी हैं जो मुसलमानों की हैं और हिन्दू बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। बहुत सी परम्पराएं ऐसी भी हैं जो दोनों की साझी हैं। बहुत से रिवाज और परम्पराएं इस तरह से घुल मिल गई हैं कि यह बताना मुश्किल है कि कौन सी परम्परा हिन्दू है और कौन सी परम्परा मुस्लिम यह परम्पराएं भारत की सांझी संस्कृति की ओर इशारा करती हैं। दिल्ली का 'फूल वालों की सैर' और अवध का 'कौसर बाग का मेला' इस बात का उदाहरण हैं। अहमदशाह वली के उर्स पर होने वाली परम्पराएं इस बात का जीता-जागता नमूना है । खान-पान, व रहन-सहन की अन्य परम्पराओं पर हिन्दुओं ने मुसलमानों से सीखा और मुसलमानों ने हिन्दुओं से सीखा। हिन्दुओं ने मुसलमानों से एक-से-एक व्यंजन बनाने सीखे और मुसलमानों ने हिन्दुओं से। संगीत में, चित्रकला में, स्थापत्य में, ज्योतिष, और साहित्य में और जीवन के अन्य क्षेत्रों में दोनों का एक दूसरे पर गहरा प्रभाव देखा जा सकता है। साझी संस्कृति का नमूना इस रूप में देखा जा सकता है कि मुस्लिम धर्म संस्कृति और साम्प्रदायिकता / 33