पृष्ठ:साम्प्रदायिकता.pdf/३४

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अपने नस्ल, धर्म, भाषा व संस्कृति को सर्वश्रेष्ठ मानती थी और अन्य सब को निकृष्ट, गंदे, गद्दार व असभ्य । आर. एस. एस. की विचारधारा व सैन्य संगठन न केवल उससे मिलता है बल्कि हिटलर की विचारधारा व संगठन इसका प्रेरणा स्रोत है । गोलमेज कांन्फ्रेंस से वापस लौटते हुए श्री मुंजे हिटलर से मिले थे और उनके संगठन की गतिविधियां व तौर-तरीके देखकर आए थे। उन्होंने अपने डायरी में यह भी लिखा है कि उन्होंने इसके बारे में आर.एस.एस. के संस्थापक डॉ. हेडगोवार से चर्चा की और इस कार्यप्रणाली को अपनाने के लिए कहा। 3. फासीवाद : इटली के तानाशाह मुसोलिनी की विचारधारा को फासीवाद कहा जाता है है । यह सर्वसत्तावाद की हिमायत करती है। सभी नागरिकों को समानता की बजाए गैरबराबरी के व्यवहार को मान्यता देती है । 4. साम्प्रदायिकता और संस्कृति के सवाल; सहमत प्रकाशन, दिल्ली; ( अमृत्य सेन के लेख: धर्मनिरपेक्ष भारत के लिए चुनौतियां ); पृ. -61 5. जातीयता, जातिवाद और साम्प्रदायिकता ; वासुदेव शर्मा ( सं . ) ; पृ.-46; लोकजतन प्रकाशन, भोपाल; 2004 6. सांझी संस्कृति; डां. सुभाष चन्द्र; भूमिका से; उद्भावना प्रकाशन, दिल्ली; 2003 47; 7. जातीयता, जातिवाद और साम्प्रदायिकता; वासुदेव शर्मा (सं.); पृ.- लोकजतन प्रकाशन, भोपाल; 2004 8. संस्कृति के चार अध्याय ; रामधारी सिंह दिनकर; पृ.- 471 से 477 ( देंखें परिशिष्ट ); लोक भारती प्रकाशन, इलाहाबाद; 1994 संस्कृति और साम्प्रदायिकता / 35