पृष्ठ:साम्प्रदायिकता.pdf/३६

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ही धर्मनिरपेक्षता का मतलब जीवन से धर्म को निकालना या धर्म का विरोध नहीं है। धर्म निरपेक्ष शासन का अर्थ धर्म को हतोत्साहित करने वाला शासन नहीं है । दूसरी: किसी बहुधर्म समाज में धर्म निरपेक्षता का यह भी मतलब है कि शासन सभी धर्मों के प्रति तटस्थ रहे या जैसा कि बहुत से धार्मिक व्यक्ति कहते हैं निरीश्वरवाद सहित सभी धर्मों को बराबर सम्मान दें। तीसरी: धर्मनिरपेक्षता का आगे मतलब है कि शासन सभी नागरिकों को बराबर समझे और उनके धर्म के आधार पर उनके साथ भेदभाव न करें। चौथी: भारत के संदर्भ में धर्मनिरपेक्षता की और विशेषता है। भारत में धर्मनिरपेक्षता उपनिवेशवाद के खिलाफसभी भारतीयों को इकट्ठा करने और राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रिया के हिस्से की तरह एक विचारधारा के रूप में आई। इसके साथ-साथ सांप्रदायिकता एक अत्यधिक विभाजक सामाजिक और राजनीतिक ताकत के रूप में उभरी । परिणामस्वरूप धर्मनिरपेक्षता का मतलब सांप्रदायिकता का स्पष्ट विरोध भी हुआ । यह सुविदित है कि भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के विजन में धर्म निरपेक्ष समाज और धर्मनिरपेक्ष शासन शामिल है। इस विजन और उसके लिए प्रतिबद्धता के कारण ही स्वतन्त्र भारत विभाजन और विभाजन दंगों के बावजूद धर्मनिरपेक्ष संविधान तैयार कर सका और धर्म निरपेक्ष शासन की आधारशिला रख सका । " साम्प्रदायिकता की विचारधारा धर्मनिरपेक्षता पर तीखे हमले इसलिए करती है कि धर्मनिरपेक्षता के साथ लोकतंत्र व्यवस्था जुड़ी है। धर्मनिरपेक्षता को अपनाए बिना किसी देश में लोकतंत्र नहीं रह सकता और साम्प्रदायिकता मूलत: लोकतंत्र के खिलाफ है। साम्प्रदायिक लोग इस बात को अच्छी तरह जानते है कि वे लोकतंत्र का सीधे-सीधे विरोध नहीं कर सकते लेकिन धर्म की आड़ लेकर और धर्मनिरपेक्षता के बारे में गलतफ हमी पैदा करके, धर्मनिरपेक्षता को ‘अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण' कहकर लोकतंत्र को कमजोर कर सकते हैं। साम्प्रदायिकता समाज के सभी समुदाय को समान नागरिक अधिकारों के खिलाफ है । वह समाज मे एक समुदाय का दूसरे समुदाय पर और एक समुदाय के विशिष्ट वर्ग का दूसरे वर्गो पर वर्चस्व स्थापित करना चाहती है, जबकि लोकतंत्र इस बात को कम से कम सैद्धांतिक तौर पर तो सुनिश्चित करता है कि समाज के सभी लोगों को समान नागरिक अधिकार मिलें चाहे अल्पसंख्यक हो या बहुसंख्यक । साम्प्रदायिकता धर्म को नागरिक अधिकारों के ऊपर रखती है, जबकि धर्मनिरपेक्ष लोकतन्त्र में नागरिक अधिकार अधिक महत्वपूर्ण होते है । भारत की एकता व अखंडता के लिए धर्मनिरपेक्षता निहायत जरूरी है । धर्मनिरपेक्षता और साम्प्रदायिकता / 37