पृष्ठ:साम्प्रदायिकता.pdf/३८

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शहीद भगतसिंह और उसके संगठन के क्रांतिकारी साथियों ने भी धर्म को राजनीति के क्षेत्र से बाहर रखने का विचार रखा। भगतसिंह ने 'साम्प्रदायिक दंगे और उनका इलाज' लेख में अपना मत स्पष्ट किया कि '1914-15 के शहीदों ने धर्म को राजनीति से अलग कर दिया था। वे समझते थे कि धर्म व्यक्तिगत मामला है, इसमें दूसरे का कोई दखल नहीं। न ही इसे राजनीति में घुसाना चाहिए, क्योंकि यह सरबत को मिलकर एक जगह काम नहीं करने देता। इसलिए गदर पार्टी— जैसे आन्दोलन एकजुट व एकजान रहे, जिनमें सिक्ख बढ़-चढ़कर फांसियों पर चढ़े और हिन्दू-मुसलमान भी पीछे नहीं रहे। इस समय कुछ भारतीय नेता भी मैदान में उतरे हैं, जो धर्म को राजनीति से अलग करना चाहते हैं । झगड़ा मिटाने का यह भी एक सुन्दर इलाज है और हम इसका समर्थन करते हैं। यदि धर्म को अलग कर दिया जाये तो राजनीति पर हम सभी इकट्ठे हो सकते हैं। धर्मों में हम चाहे अलग-अलग ही रहें । " आजादी की लड़ाई में शामिल सभी नेताओं ने भारत को धर्मनिरपेक्ष राज्य के रूप में निर्माण करने की बात कही थी। जब भारत स्वतन्त्र हुआ और भारत का विभाजन हुआ तो लगभग स्पष्ट था कि पाकिस्तान इस्लाम धर्म को राज्य धर्म के रूप अपनायेगा तब भारत के धर्मनिरपेक्षता के बारे में सभी नेता स्पष्ट थे। 5 जून 1947 को बिड़ला ने सरदार पटेल से पूछा, 'वाइसराय की घोषणा से मुझे इस बात की प्रसन्नता हुई है कि सब आपकी इच्छा के अनुरूप हुआ। इसमें कोई सन्देह नहीं कि यह हिन्दुओं के लिए बहुत अच्छा हुआ है और अब हमें सांप्रदायिक नासूर से छूटकारा मिल जाएगा। अलग हुआ क्षेत्र निश्चय ही मुस्लिम राज्य बनेगा। क्या यह उचित समय नहीं है कि हम हिन्दुस्तान को हिन्दू राज्य बनाएं और हिन्दू धर्म को राज्य का धर्म बनाएँ? हमें देश को मजबूत भी बनाना है ताकि यह किसी भी भावी आक्रमण का सामना कर सकें ।' बल्लभभाई पटेल की इस पर प्रतिक्रिया हुई? उन्होंने उत्तर में लिखा, 'मैं नहीं समझता कि हिन्दुस्तान को हिन्दू राज्य और हिन्दू धर्म को राज्य का धर्म बनाया जा सकता है। हमें यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि देश में अल्पसंख्यक वर्ग है जिसकी रक्षा हमारी प्राथमिक जिम्मेवारी है। राज्य सबके लिए होगा चाहे किसी की जाति या धर्म कुछ भी हो (सरदार पटेल के पत्र, खण्ड – 4, पृ० – 55-57)।” सांस्कृतिक बहुलता वाले देशों को धर्मनिरपेक्षता ही एकजुट रख सकती है। धर्मनिरपेक्षता भारत के लिए कोई नई चीज नही है। विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों के लोग सह-अस्तित्व के साथ हजारों सालों से साथ- साथ रह रहे हैं। अंग्रेजों ने जब अपनी सत्ता को बनाये रखने के लिए धर्म के आधार पर लोगों में फूट डालने की कोशिश की, एक सम्प्रदाय के लोगों को धर्मनिरपेक्षता और साम्प्रदायिकता / 39