पृष्ठ:साम्प्रदायिकता.pdf/४४

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अंग्रेजों की 'फूट डालो और राज करो' की नीति में भागीदार बनकर धर्म के आधार पर लोगों की एकता को तोड़ा। इस तरह साम्प्रदायिक राजनीति की उत्पत्ति ही राष्ट्रवाद के खिलाफ हुई और राष्ट्रवादी आन्दोलन को कमजोर करने के लिए साम्प्रदायिकता ने नए-नए पैंतरे बदले । साम्प्रदायिकता अपने कुकृत्यों को छुपाने के लिए धर्म का आवरण तो ओढ़ती ही है, वह राष्ट्रवाद की व्याख्या भी धार्मिक आड़ लेकर करती है। धार्मिक मुददों का साम्प्रदायीकरण करके उसे इस तरह प्रस्तुत करती है, जैसे कि वह राष्ट्रीय सवाल हो । जैसे राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के विवाद को इसी तरह उठाया गया। राम जन्म भूमि को प्राप्त करना राष्ट्रीय काम कहा गया, बाबरी मस्जिद का होना राष्ट्र पर कलंक कहा गया और राम मन्दिर के लिए ईंटों को 'राष्ट्र-शिलान्यास' कहा गया तो बाबरी मस्जिद को 'राष्ट्रीय भावनाओं का प्रकटीकरण' कहा गया। साम्प्रदायिक शक्तियां धर्म के साथ राष्ट्र को जोड़कर देखती हैं और दूसरे धर्मों-सम्प्रदायों के प्रति अपनी अमानवीय घृणा को राष्ट्रीय भावनाएं बताती हैं । साम्प्रदायिक शक्तियां राष्ट्र पर धर्म की सर्वोच्चता की वकालत करती हैं। वे भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने पर तुली हैं। गणेश शंकर विद्यार्थी ने 'हिन्दू राष्ट्र' के बारे में अपने विचार प्रकट करते हुए लिखा, 'कुछ लोग 'हिन्दू राष्ट्र’, ‘हिन्दू राष्ट्र' चिल्लाते हैं। हमें क्षमा किया जाए, यदि हम कहें— नहीं, हम इस बात पर जोर दें— कि वे एक बड़ी भारी भूल कर रहे हैं और उन्होंने अभी तक राष्ट्र शब्द के अर्थ ही नहीं समझे। हम भविष्य वक्ता नहीं, पर अवस्था हमसे कहती है कि अब संसार में हिंदू राष्ट्र नहीं हो सकता। क्योंकि राष्ट्र का होना उसी समय संभव है, जब देश का शासन देश वालों के हाथ में हो । यदि मान लिया जाए, कि आज भारत स्वाधीन हो जाए, या इंग्लैंड इसे औपनिवेशिक स्वराज्य दे दे, तो भी हिन्दू ही भारतीय राष्ट्र के सब कुछ न होंगे और जो ऐसा समझते हैं— हृदय या केवल लोगों को प्रसन्न करने के लिए वे भूल कर रहे हैं और देश को हानि पहुँचा रहे हैं। वे लोग भी इसी प्रकार की भूल कर रहे हैं जो टर्की या काबुल या मक्का या जेद्दा का स्वप्न देखते हैं, क्योंकि वे उनकी जन्म-भूमि नहीं और इसमें कुछ भी कटुता नहीं समझी जानी चाहिए यदि हम यह कहें, कि उनकी कब्रें इसी देश में बनेंगी और उनके मर्सिये – यदि वे इस योग्य होंगे तो — इसी देश में गाए जाएंगे। 2 । धर्म को जिन राष्ट्रों ने सर्वोच्चता दी है उनमें कट्टरता व पिछड़ापन मौजूद है, जैसे पाकिस्तान, बंगलादेश और अरब देश । इन देशों के शासक अपनी जनता के साथ कैसा सलूक करते हैं और उनका शासन कितना 'धार्मिक राष्ट्रवादी' होता है उसका पता अफगानिस्तान के तालिबानों और राष्ट्रवाद और साम्प्रदायिकता / 45