पृष्ठ:साम्प्रदायिकता.pdf/५७

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कमजोर करने के लिए ही उन्होंने भारत के लोगों की एकता व भाईचारे को तोड़ने की नई-नई चालें सोचनी आरम्भ कर दी । धर्म के आधार पर इनको लड़ाने की युक्ति काम कर गई। अंग्रेजों ने हिन्दू व मुसलमान दोनों समुदायों में से कुछ स्वार्थी लोगों को अपना मित्र बनाकर उनको इस में काम लगा दिया और इस राजभक्ति के बदले में अंग्रेजी शासन के दरबारों की शोभा बन गए और गाहे-बगाहे इनाम इकराम पाते रहे। स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान देश की जनता के प्रति गद्दारी की ऐतिहासिक मिसालें कायम की। साम्राज्यवाद का यह बच्चा हमेशा उसके प्रति वफादार रहा है। इसलिए साम्प्रदायिक शक्तियों से, जो कि आज अपने को देश की सबसे बड़ी रक्षक के तौर पर प्रस्तुत करती हैं, यदि यह पूछा जाये कि उनके संगठनों के किसी सदस्य या उनकी विचारधारा को मानने वाले को स्वतन्त्रता- संघर्ष के दौरान जेल हुई, फांसी हुई है, तो उनके लाख कोशिश करने पर एक भी ऐसा नाम नहीं है जिसको कि सिर उठाकर ले सकें। हां इसके विपरीत माफी मांगने वालों और अपने देश के स्वतन्त्रता सेनानियों के खिलाफगवाही देने वालों के नाम खूब मिल जायेंगे । वे देश की जनता की एकता व भाई चारे को तोड़कर साम्राज्यवाद की मदद करते रहे और हिन्दू साम्प्रदायिकों व मुसलमान साम्प्रदायिकों ने मिलकर साम्प्रदायिकता की ऐसी मुहिम चलाई कि देश के दो टुकड़े हो गए। पाकिस्तान नाम का एक नया देश दुनिया के नक्शे पर उभर कर आया । विभाजन से आबादियां इधर की उधर गई । लाखों लोग उजड़कर शरणार्थी का जीवन जीने पर मजबूर हुए और हजारों लोग अपनों से बिछड़ गए हजारों लोग इन साम्प्रदायिक दंगों में मारे गए। जहां एक तरफ आजादी का जश्न मनाया जा रहा था, वहीं, दूसरी ओर लाखों लोग उजड़ रहे थे और साम्प्रदायिक लोग अपना खूनी खेल खेल रहे थे। आजादी के बाद भी साम्प्रदायिकता ने अपना साम्राज्यवाद के हितैषी का चरित्र नहीं छोड़ा । वह लगातार साम्राज्यवाद को बढ़ावा देनी वाली नीतियों का समर्थन करती रही है। चाहे देश की आर्थिक नीति हो या विदेश नीति इसके मामले में साम्प्रदायिक शक्तियों के वही विचार रहे हैं जो साम्राज्यवाद के हितों की रक्षा करते हों । साम्राज्यवाद हमेशा बड़ी पूंजी के माध्यम से देश की संप्रभुता को प्रभावित करता रहा है लेकिन जब से समाजवादी रूस का विघटन हुआ और पूरी दुनियां पर अमेरिका का एक छत्र राज हुआ तब से तो बिल्कुल खुल्लम-खुल्ला उसके साथ ही नहीं बल्कि उनसे एक कदम आगे बढ़कर साम्राज्यवादी हितों की पूर्ति के लिए कार्य कर रहे हैं । 58 / साम्प्रदायिकता