पृष्ठ:साम्प्रदायिकता.pdf/५८

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हिन्दू बनाम हिन्दुत्व 'हिन्दू धर्म' और ' हिन्दुत्व' में कोई समानता नहीं है। दोनों एक दूसरे के इस अर्थ में विरोधी हैं कि 'हिन्दुत्व' शब्द ने ' हिन्दू धर्म' की मूल भावना को चोट पहुंचाई है। आर.एस.एस. गिरोह ने 'हिन्दू' धर्म और ' हिन्दुत्व' को एक-दूसरे के पयार्यवाची के रूप में इतना अधिक प्रचार किया है कि आम लोगों को इनमें अन्तर नजर नहीं आता । इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि 'हिन्दुत्व' की साम्प्रदायिक विचारधारा को मानने वाले लोगों को 'हिन्दू-धर्म' के रक्षक व समर्थक के तौर पर मानने की गलती कर बैठते हैं इसलिए ' हिन्दू धर्म' और 'हिन्दुत्व' के अन्तर को समझना निहायत जरूरी है। ‘हिन्दू’ शब्द लगभग हजार वर्ष से प्रचलन में है। इस शब्द का प्रयोग सिन्धु नदी के पार रहने वाले लोगों के लिए किया गया । वे 'स' शब्द का उच्चारण 'ह' करते थे । 'हिन्दू', 'हिन्दवी', 'हिन्दी' आदि शब्दों की उत्पत्ति का यही कारण है। उच्चारण के कारण पुराना शब्द नया रूप ले लेता है जैसे जब यहां अंग्रेज आए तो वे 'ठ' का उच्चारण ‘ट' करते थे इसलिए वे 'ठाकुर' की जगह ‘टैगोर' कहते थे और उसके बाद से ठाकुर की जगह टैगोर ही प्रचलन में है। इस तरह 'हिन्दू' शब्द की उत्पत्ति हुई। काफी समय 'हिन्दू' शब्द एक भौगोलिक पहचान के साथ जुड़ा रहा है। । भारत के महान चिंतक स्वामी विवेकानन्द ने इस पर प्रकाश डालते हुए लिखा है कि 'हमारी जाति और धर्म को व्यक्त करने के लिए एक शब्द 'हिन्दू' बहुत प्रचलित हो गया है । वेदांत धर्म से मेरा क्या अभिप्राय है, इसको समझाने के लिए इस 'हिन्दू' शब्द की किंचित व्याख्या करना आवश्यक है। प्राचीन फारस देश के निवासी सिंधु नदी के लिए 'हिन्दू' नाम का प्रयोग करते थे । संस्कृत भाषा में जहां 'स' आता है, प्राचीन फारसी भाषा में वही 'ह' रूप में परिणत हो जाता है इसलिए सिंधु का 'हिंदू' हो गया । तुम सभी लोग जानते हो कि यूनानी लोग 'ह' का उच्चारण नहीं कर सकते थे, इसलिए उन्होंने 'ह' को छोड़ दिया और इस प्रकार हय 'इंडियन' नाम से जाने गए। प्राचीन काल में इस शब्द का अर्थ जो भी हो, अब इस हिंदू शब्द की, जो कि सिंधु नदी के दूसरे किनारे के निवासियों के लिए प्रयुक्त होता था, कोई सार्थकता नहीं है, क्योंकि सिंधु नदी के इस ओर रहने वाले सभी लोग एक धर्म के मानने वाले हिन्दू बनाम हिन्दुत्व / 59