पृष्ठ:साम्प्रदायिकता.pdf/७२

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को ‘कसाई' के रूप बनाया जा रहा है । राष्ट्रीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड ने गोरक्षा के लिए काम आने वाले लोगों के लिए पुरस्कार एवं सम्मान घोषित किया है। 'गोभक्ति में बलिदान की परम्परा को सम्मान देने के लिए मैंने बोर्ड के द्वारा अभी 30 अक्तूबर 1999 को अहमदाबाद में गोभक्त झूमरलाल अशोपा, जोधपुर व श्रीमती गीता बहन अहमदाबाद तथा श्री हरभाई सोलंकी, अहमदाबाद को प्राणी रक्षा पुरस्कार से अलंकृत किया है। साथ ही मैंने घोषणा की है कि बलिदानी गोभक्तों के परिवारों को हमेशा प्राणी मित्र पुरस्कार में एक सोने का मैडल व एक लाख रुपये भेंट किए जाएंगे।' इसी तरह प्राणी रक्षा के नाम 'गोरक्षा' के आन्दोलन व 'गोरक्षा' के नाम पर 'बलिदान' को प्रोत्साहित करके समाज में हिंसा व उन्माद का वातावरण सरकारी धन से तैयार किया जा रहा है। केवल राष्ट्रीय जीव-जन्तु, कल्याण बोर्ड ही नहीं स्वयं प्रधानमंत्री ने भी इसके लिए एक विशेष योजना घोषित की है । अंग्रेजों ने अपने राज को स्थायी करने के लिए गाय व सुअर का इस्तेमाल किया। उन्होंने मन्दिर के आगे गाय का मांस व मस्जिद के आगे सुअर का मांस फेंककर, साम्प्रदायिक दंगे आयोजित करवाए । लोग इन धार्मिक सवालों पर झगड़ते रहे और उनका राज चलता रहा । यही साजिश अब भी है। लोगों को आपस में लड़वाओं और बिना कुछ विकास किए सत्ता चलाओं। इसी नीति का हिस्सा है गाय के नाम पर उन्माद, इसलिए ही सरकारी सहायता दी जा रही है । इसलिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय की देखरेख में एन सी ई आर टी ने जो पाठ्यक्रम लागू किया उसमें इतिहास को और संस्कृति को साम्प्रदायिक रंग में रंगकर प्रस्तुत किया है। गाय को भी अपनी इस योजना में शामिल किया है। छोटे-छोटे बच्चों के कोमल दिमागों में अपनी साम्प्रदायिक विचारधारा घुसाने के लिए छठी कक्षा के लिए प्रकाशित पुस्तक 'इंडिया एंड द वर्ल्ड' में लिखा है कि 'वैदिक अवस्था में गाय को घायल करने या मारने वाले की सजा या तो राज्य निकाल या फिर सजा-ए-मौत जैसी स्थिति है। (पृष्ठ-89) यह सब साम्प्रदायिकता की राजनीति के तहत हो रहा है। साम्प्रदायिकता की राजनीति आम लोगों का ध्यान उसके जीवन से जुड़े वास्तविक मुद्दों – शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आदि को छोड़कर झूठे मुद्दों मन्दिर निर्माण, धार्मिक कर्मकांड, पाखंड आदि पर अपनी उर्जा लगाने के लिए प्रेरित करती हैं। साम्प्रदायिक राजनीति हमेशा रूढ़ियों को उठाती है। यह परंपरा व संस्कृति से ऐसी घटनाओं व चरित्रों को उठाती है जो लोगों में अवैज्ञानिकता, अंधविश्वास व भ्रम पैदा करते हो। परंपरा में ऐसी घटनाएं व चरित्र भी होते गाय- प्रेम और साम्प्रदायिकता / 73