पृष्ठ:साम्प्रदायिकता.pdf/७७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

बल्कि उसके कारण राजनीतिक हैं क्योंकि औरगजेब ने सिर्फ मंदिरों को ही नहीं गिराया उसने मस्जिदों को भी गिराया। ध्यान देने की बात यह भी है कि औरगजेब ने राजनीतिक कारणों से मंदिरों को केवल गिराया ही नहीं बल्कि मंदिरों को दान में जागीरें और जमीनें भी दीं। अहमदाबाद के जैन मंदिर के न्यासियों के पास आज भी औरगंजेब का रूक्का है, जो उस समय एक जैन मुनि को दिया गया था। इस मंदिर के निर्माण का श्रेय औरगंजेब को ही है । औरगंजेब ने इलाहाबाद नगरपालिका में सोमेश्वर नाथ महादेव मंदिर के लिए जागीर और नकद उपहार दिए और साथ में यह हिदायत दी कि 'यह जागीर देवता की पूजा और भोग के लिए दी जा रही है। औरगंजेब ने उज्जैन में महाकेश्वर मंदिरों, चित्रकूट में बालाजी मंदिर, गुवाहटी में उमानन्द मंदिर, शत्रुंजय में जैन मंदिर और उतरी भारत में फैले गुरुद्वारों को अनुदान दिए । गौर करने की बात यह है कि औरगंजेब का शासन सबसे बडा शासन था और उसके शासन में बहुत अधिक मंदिर थे, यदि वह धार्मिक नफरत के कारण मंदिरों को गिराता तो शायद हमें एक भी पुराना मंदिर नजर न आता। एक बात और जो ध्यान देने योग्य है वह यह कि औरंगजेब ने जो मंदिर तोड़े या गिराये उनमें से अधिकतर उसके राज्य की सीमा से बाहर थे। अपने राज्य की सीमा में तोड़े जाने वाले मंदिरों की संख्या बहुत कम है। यदि औरगंजेब धार्मिक नफरत के कारण मंदिर तोड़ता तो उसके लिए सबसे आसान तो बात तो यही थी कि वह अपने राज्य बिना किसी रोक टोक के मंदिर तोड़ सकता था, लेकिन उसने जितने मंदिर तोड़े उनमें अधिकतर उसकी सीमा से बाहर थे। इससे साफ पता चलता है कि मंदिर तोड़ने का कारण धार्मिक तो कतई नहीं था, और चाहे जो रहा हो, और यह राजनीतिक था । मध्यकाल में सभी राजा मंदिरों या पूजा स्थलों को तोड़ते थे, चाहे वे किसी भी धर्म से ताल्लुक रखते हों । मध्यकाल में जब कोई राजा सत्ता संभालता था तो वह किसी न किसी देवता से आज्ञा लेकर, उस विशेष देवता की साक्षी में तिलक करवाके गद्दी पर बैठता था । इस तरह वह सत्ता के साथ जुड़ जाता था और सत्ता का चिन्ह बन जाता था। जब कोई राजा दूसरे राजा पर हमला करता था तो वह उसकी सत्ता के सारे चिन्हों को मिटा देना चाहता था क्योंकि विशेष पूजा स्थल सत्ता के साथ जुड़ा होता था इसलिए उस पर भी हमला होता था। अधिकतर पूजा स्थलों के टूटने की यही वजह है। इसीलिए इतिहास में ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं, जिसमें हिन्दू 78 / साम्प्रदायिकता