पृष्ठ:साम्प्रदायिकता.pdf/७८

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राजाओं ने दूसरे राजा की सीमा में आने वाले मंदिरों को तोड़ा। परमार राजाओं का हिन्दू धर्म से सम्बंध था, लेकिन उन्होंनें जैन मंदिरों को तोड़ा। काश्मीर के राजा हर्षदेव ने मूर्तियों को मंदिरों से हटाया, उसने तो मूर्तियां हटाने के लिए 'देवोतपलायक' नामक अधिकारी नियुक्त किए थे। मराठों ने टीपू सुल्तान के राज्य में पड़ने वाले श्रीरंगपट्टनम के मंदिर को लूटा और नष्ट किया, और टीपू सुल्तान ने उसकी मुरम्मत करवाई। अंग्रेज शासकों ने भारत की जनता की एकता को तोड़ने के लिए इतिहास को इस ढंग से प्रस्तुत किया था और उन्हीं की सहयोग करने वाली तथा लोगों के भाईचारे व एकता को तोड़ने वाली साम्प्रदायिक शक्तियों ने हिन्दू व मुसलमानों में फूट डालने के लिए इसका प्रयोग किया, जबकि यह मध्यकाल के शासकों की सामान्य विशेषता रही थी । शासक चाहे वह हिन्दू मुसलमान पूजा स्थलों को तोड़ता था। साम्प्रदायिक तत्व औरगंजेब के बारे में कहते हैं कि उसने धार्मिक घृणा के कारण मंदिरों को गिराया, जबकि ऐतिहासिक तथ्य कुछ और ही सच्चाई बताते हैं। वाराणसी का विश्वनाथ मंदिर औरगंजेब ने क्यों गिराया इसके बारे में डॉ पट्टाभिसीतारमैया ने दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर अपनी पुस्तक 'दि फेदर्स एंड दि स्टोन्स' में इसका विवरण निम्न प्रकार से दिया है :- या विश्वनाथ मंदिर के बारे में कहानी यह है कि एक बार जब औरगंजेब बंगाल जाने के लिए वाराणसी से गुजर रहा था तो उसके साथी हिन्दू राजाओं ने अनुरोध किया कि यदि वहां एक दिन विश्राम कर लिया जाए तो उनकी रानियां गंगा में स्नान करके भगवान विश्वनाथ के दर्शन कर सकती हैं । रानियों ने पालकियों में यात्रा की। उन्होंनें गंगा में स्नान किया और पूजा के लिए विश्वनाथ मंदिर गईं। पूजा के बाद सभी रानियां वापस लौट आईं, लेकिन कच्छ की रानी वापस नहीं आई। पूरे मंदिर में तलाश की गई लेकिन रानी कहीं नहीं मिली। जब औरगंजेब को इसका पता चला तो वह आग बबूला हो गया। उसने रानी की खोज करने के लिए बड़े अधिकारियों को भेजा । अन्ततः उन्हें पता चला कि दीवार में जड़ी गणेश की मूर्ति को इधर-उधर सरकाया जा सकता था। जब मूर्ति को हटाया गया तो उन्हें तहखाने जाने वाली सीढ़ियां मिलीं। वहां रानी को रोते हुए पाया गया; उसकी इज्जत लूटी जा चुकी थी। तहखाना ठीक भगवान की मूर्ति के नीचे था। राजाओं ने इस जघन्य अपराध के लिए कड़ी सजा की मांग की। औरगंजेब ने आदेश दिया कि पवित्र स्थान को अपवित्र कर दिया गया है। भगवान विश्वनाथ को किसी दूसरे स्थान पर ले जाया जाए और महंत को गिरफ्तार करके सजा दी जाए । साम्प्रदायिकता और इतिहास / 79