पृष्ठ:साम्प्रदायिकता.pdf/७९

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इस प्रकार कहा जा सकता है कि विश्वनाथ मंदिर का गिराया जाना परिस्थितिवश है। औरंगजेब ने जो दूसरे मंदिर गिराए हैं उनका वह हिस्सा नहीं गिराया जिसमें पूजा होती थी। मंदिर के साथ जो कमरे आदि बने होते थे वो हिस्सा गिराया है। इससे भी साफनजर आता है कि ये किसी धर्म का अपमान करने के लिए या किसी खास धर्म को मानने वाले लोगों की आस्था को ठेस पहुंचाने के मकसद से नहीं गिराए गए, क्योंकि यदि इस मकसद से गिराए जाते तो वह हिस्सा जरूर गिराया जाता जिस हिस्से में पूजा होती थी। एक और तथ्य देखने लायक है कि औरंगजेब ने मंदिर गिराकर उसकी जगह मस्जिद बनवाई, ऐसा उसने स्थान की पवित्रता बनाए रखने के लिए किया । यदि वह किसी धर्म का अपमान करना चाहता या किसी धर्म को माने वाले लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाना उसका मकसद होता तो वह उसकी जगह घुड़साल या शौचालय आदि कुछ भी बना सकता था। लेकिन उसने ऐसा न करके स्थान की पवित्रता को बनाए रखने के लिए ईश्वर की पूजा का ही स्थान बनाया । इसका सीधा यही अर्थ है कि इनको तोड़ने के पीछे धार्मिक कारण नहीं है, बल्कि राजनीतिक कारण हैं । यह भी ध्यान रखना चाहिए कि मध्यकाल में मंदिरों के पास बहुत शक्ति होती थी वे राजनीति के अड्डे बन गए थे। जब किसी शासक को इस बात का अंदेशा होता कि वे उसके लिए खतरा बन सकते हैं तो वह उनको नष्ट कर देता था । औरगंजेब निर्णय लेते समय मंदिर मस्जिद में कोई भेद नहीं करता था। उसने गोलकुण्डा रियासत में एक मस्जिद भी गिरवाई । गोलकुण्डा के विख्यात तानाशाह ने राज्य की जनता से कर वसूल लिया, लेकिन उसने दिल्ली का हिस्सा नहीं दिया। उसने खजाने को धरती में गड़ा दिया और उस पर मस्जिद बना दी। जब औरगंजेब को इस बात का पता चला तो उसने मस्जिद को गिराने का हुक्म दिया । औरगंजेब सिर्फ एक राजा था, उसके मन में हिन्दू व मुसलमान का कोई भेदभाव नहीं था, जब भी कोई निर्णय लेना होता था तो उसकी नजर में सिर्फ अपने शासन का हित ध्यान में होता था । शिवाजी ने जब मुगलों के शासन में आने वाले व्यापारिक केन्द्र सूरत पर हमला किया और शिवाजी के सैनिकों ने वहां चार दिन तक खूब जमकर हिन्दू व्यापारियों को लूटा। सूरत के एक प्रसिद्ध व्यापारी वीर जी वोरा थे, जिसके अपने जहाज थे। उस समय उस की सम्पति अस्सी लाख रूपए थी । शिवाजी की सेना ने वीर जी वोरा को भी जमकर लूटा। औरगंजेब ने सूरत के लिए सेना भेजी। उसने तीन साल तक व्यापारियों से चुंगी न वसूलने का भी फरमान जारी 80 / साम्प्रदायिकता