पृष्ठ:साम्प्रदायिकता.pdf/८१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

और उसने सारे काम शरीयत के अनुसार किए। दोनों सम्प्रदायों की साम्प्रदायिक शक्तियों ने औरगंजेब के व्यक्तित्व को सही ढंग से प्रस्तुत नहीं किया, बल्कि अपने राजनीतिक हितों के लिए उसका तोड़ा मरोड़ा । दोनों धर्मों की साम्प्रदायिक शक्तियों ने अपने राजनीतिक स्वार्थों के लिए औरगंजेब का इस्तेमाल किया । हिन्दू धर्म के साम्प्रदायिक तत्वों ने हिन्दुओं में मुसलमानों के प्रति घृणा पैदा करने के लिए इसका प्रयोग किया, तो मुसलमान साम्प्रदायिक शक्तियों ने इसके चरित्र को मंहिमा मंडित किया, उसे इस्लाम के संरक्षक के तौर पर प्रस्तुत करके उसे आदर्श मुस्लिम शासक ठहराया। न औरगंजेब न तो आदर्श मुसलमान था और न ही हिन्दू विरोधी था, उसे किसी विशेष धर्म से लगाव था और न ही किसी धर्म से नफरत थी, वह सिर्फ एक राजा था अपनी राज गद्दी को सुरक्षित रखने के लिए तथा उसे विस्तार देने के लिए उसने हर काम किया, उसके राज में जो भी बाधा बना उसने उसे उतनी ही मुस्तैदी से दूर किया जितनी की कोई भी राजा करता है। उसने सारे कदम अपने राज्य को ध्यान में रखते हुए उठाए । सबसे पहले इस बात को देखना जरूरी है कि क्या औरगंजेब हिन्दू धर्म के लोगों और हिन्दू धर्म से नफरत करता था? क्या वह शासन नीति में हिन्दू व मुसलमान में भेद करता था? क्या उसने धार्मिक नफरत के कारण हिन्दुओं के मंदिरों को गिरवाया ? औरंगजेब एक शासक था, और का कोई धर्म नहीं होता, उसका धर्म केवल और केवल अपनी गद्दी होता है । वह वही फैसले लेता है जो उसके शासन सत्ता के अनुकूल हों। औरगजेब शासन में निर्णय लेते समय किसी का धर्म नहीं देखता था कि वह किस धर्म से ताल्लुक रखता है, शासकीय निर्णय लेते समय वह हिन्दू और मुसलमान में कोई भेद नहीं करता था। ऐसे बहुत से उदाहरण हैं, जिन पर नजर डालनी जरूरी है जब शाहजहां सम्राट था और औरगंजेब के पास कुछ सुबों का शासन होता था, तो उसके पास जो हिन्दू अधिकारी थे उसने उनके लिए उसने समय समय पर उन्नति तथा वेतन वृद्धि के लिए शाहजहां से सिफारिश की और उनको जागीरें भी दीं । 1. औरगंजेब ने सूबा एजलपुर की दीवानी के लिए रायकरण राजपूत की सिफारिश बादशाह से की, किन्तु बादशाह ने इसे अस्वीकार कर दिया। औरगंजेब इससे काफी निराश हुआ, परन्तु उसने बादशाह की अनदेखी करते हुए उसकी उन्नति की । 2. नरसिहं दास, जो असीरगढ़ के किले का किलेदार था, उसकी 82 / साम्प्रदायिकता