पृष्ठ:साम्प्रदायिकता.pdf/९७

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मांस व अनाज में कोई अन्तर नहीं है । ये कहना कि मांसाहारी क्रूर व हिंसक होते हैं और शाकाहारी दयालु व सहिष्णु बिल्कुल बेबुनियादी बात है। दयालु या हिंसक होना किसी समुदाय का गुण नहीं है, बल्कि यह विशिष्ट व्यक्ति की विशेषता है। चाहे व्यक्ति किसी भी धर्म से ताल्लुक रखता हो वह हिंसक हो सकता है और दयालु भी हो सकता है। फिर मांस सिर्फ मुसलमान नहीं खाते बल्कि हिन्दुओं में दलित अपनी भूख मिटाने के लिए मरे हुए जानवरों का मांस तक खाते हैं, आदिवासी भी लगभग मांस खाते हैं। असल में जो समाज के गरीब वर्ग हैं वे अपने अस्तित्व के लिए मांस खाते हैं और इससे उनकी सहिष्णुता व दयालुता में कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता। लेकिन साम्प्रदायिक शक्तियां हर बात को साम्प्रदायिक रंग देती हैं साम्प्रदायिक चेतना पैदा करने के लिए दूसरे धर्म के लोगों के प्रति घृणा फैलाने के लिए उनके खाने को भी प्रयोग करते हैं । यह बात भी आमतौर पर कही जाने लगी है कि इस्लाम जिहाद सिखाता है और सभी आतंकवादी मुसलमान हैं। यह भी होता है कि जब कोई गुजरात - नरसंहार की बात करता है तो एकदम काश्मीर की बात शुरू हो जाती है, दंगा पीड़ितों की बात करते हैं तो साम्प्रदायिक दृष्टि एक दम काश्मीरी पंडितों की बात करने लगते हैं। साम्प्रदायिकता और आतंकवाद दोनों बहुत ही घातक हैं और देश के लिए तथा मानवता के लिए नुक्सानदायक हैं, लेकिन दोनों की प्रकृति भिन्न है। आतंकवादी लोगों में भय व दहशत पैदा करने के लिए हिंसा करता है वह भीड़ भरे बाजार, बसों में गोली या बम से लोगों को मारते हैं और यह नहीं देखते कि वे किस धर्म के लोगों को मार रहे हैं। वे अपना निशाना सभी समुदायों और धर्मों के लोगों को बनाते हैं। उनका मकसद सरकार को अस्थिर करना होता है जैसा कि काश्मीर के आतंकवादी कर रहे हैं, वे वहां मुसलमानों को ही तो मार रहे हैं। साम्प्रदायिक शक्तियां एक समुदाय विशेष के लोगों को चुन चुन कर मारते हैं। आतंकवाद में केवल एक धर्म के लोग शामिल नहीं हैं, बल्कि अपने राजनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सभी धर्मों के स्वार्थी लोग इस घिनौने तरीके को अपनाते रहे हैं। पंजाब में अलगाववादी सिक्खों ने खालिस्तान के लिए यही तरीका अपनाया था, श्रीलंका का सबसे बड़ा आतंकवादी संगठन एल.टी.टी.ई. हिन्दू धर्म से ताल्लुक रखता है और श्री राजीव गांधी की हत्या में भी इसी संगठन का हाथ था। असम में हिन्दू व मुसलमान दोनों आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहे हैं। नागालैंड व मिजोरम में ईसाई संगठन इनमें सक्रिय हैं । जब से 11 सितम्बर को अमेरिका के सत्ता केन्द्रों 98 / साम्प्रदायिकता