पृष्ठ:साम्प्रदायिकता.pdf/९८

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पर हमला किया है तब से तो पूरी दुनिया के अखबारों में 'इस्लामी आतंकवाद' शब्द अत्यधिक प्रचलित हुआ है। इस्लाम के नाम पर जो आतंकवाद फैलाया जा रहा है वह इस्लाम धर्म के कारण नहीं है, बल्कि उसके सामाजिक-राजनीतिक कारण हैं दंगा मुसलमान पहले शुरू करते हैं साम्प्रदायिक शक्तियां अपने घृणित कार्य को छुपाने के लिए यह साबित करने की कोशिश करती हैं कि उन्होंनें दंगा शुरू नहीं किया, बल्कि उनको तो मजबूरी में दंगे में शामिल होना पड़ा है। इस बात का इतना प्रचार किया जाता है कि आम हिन्दू यह मानने लग जाता है। इस बात को जांचने-परखने की जरूरत नहीं महसूस करता । विभूति नारायण राय ने इस सवाल पर अपने अध्ययन ‘साम्प्रदायिक दंगे और भारतीय पुलिस' में विचार किया है और भारत सरकार द्वारा दिए आंकड़े प्रस्तुत किए हैं। जिनसे स्पष्ट हो जाता है कि दंगों में अधिकतर मुसलमानों का नुकसान होता है। मुसलमान ही अधिक मरते हैं, घायल होते हैं। विचार करने की बात है कि जो समुदाय दंगे की शुरूआत करता है तो उसके पास हथियार आदि की व अन्य सामग्री की तैयारी अधिक होनी चाहिए और उसका नुक्सान कम होना चाहिए, लेकिन आंकड़े इसके विपरीत बताते हैं । वर्ष 1968 1969 1970 1971 1972 1973 1974 1975 1976 1978 1979 1980 साम्प्रदायिक दंगों की संख्या 346 519 521 321 210 242 248 205 169 219 304 427 तालिका मृतकों की संख्या हिन्दू मुसलमान 24 99 66 558 68 176 38 65 21 45 26 45 26 61 11 22 20 19 51 56 80 150 87 278 साम्प्रदायिकता और मिथ्या प्रचार / 99 कुल 133 674 298 103 70 72 87 33 39 108 261 375