पृष्ठ:साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था.djvu/१०५

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बंटवारे पर आधारित होते हैं; जबकि इन्हीं के समानांतर तथा इन्हीं के सिलसिले में राजनीतिक संघों के बीच , राज्यों के बीच , कुछ संबंध पैदा होते हैं जिनका आधार दुनिया के क्षेत्रीय बंटवारे पर, उपनिवेशों के लिए संघर्ष पर, “आर्थिक क्षेत्र के लिए संघर्ष" पर होता है।

६. बड़ी ताक़तों के बीच दुनिया का बंटवारा

"यूरोपीय उपनिवेशों के क्षेत्रीय विकास" के बारे में अपनी पुस्तक में भूगोलवेत्ता अ० सुपान*[१] ने उन्नीसवीं शताब्दी के अंत में इस विकास का संक्षिप्त सार इस प्रकार दिया है:

यूरोपीय औपनिवेशिक ताक़तों के आधिपत्य के

इलाक़ों का प्रतिशत अनुपात

(संयुक्त राज्य अमरीका सहित)

१८७६ १६०० कमी या बढ़ती
अफ्रीका में १०.८ ९०.४ +७९.६
पोलीनेशिया में ५६.८ ६८.९ +४२.१
एशिया में ५१.५ ५६.६ +५.१
आस्ट्रेलिया में १००.० १००.० -
अमरीका में २७.५ २७.२ - ०३

अंत में वह लिखते हैं, “इसलिए इस काल की लाक्षणिक विशेषता अफ्रीका तथा पोलीनेशिया का बंटवारा है।" चूंकि एशिया तथा अमरीका में कोई ऐसे इलाके नहीं हैं जो खाली हों- अर्थात् जिनपर किसी न किसी राज्य का क़ब्ज़ा न हो- इसलिए सुपान के निष्कर्ष में कुछ और भी जोड़कर यह कहना आवश्यक है कि इस विचाराधीन काल की लाक्षणिक विशेषता


  1. * A. Supan, «Die territoriale Entwicklung der europäischen Kolonieny, १९०६, पष्ठ २५४ ।

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