से १९०० तक के वर्षों को मुख्य यूरोपीय राज्यों के तीव्र “विस्तरण" का युग ठहराया है। उनके अनुमान के अनुसार, ग्रेट ब्रिटेन ने इन वर्षों के दौरान में ३७,००,००० वर्ग मील के इलाके पर क़ब्ज़ा किया जिसकी आबादी ५,७०,००,००० थी ; फ्रांस ने ३६,००,००० वर्ग मील के इलाक़े पर क़ब्ज़ा किया जिसकी आबादी ३,६५,००,००० थी ; जर्मनी ने १०,००,००० वर्ग मील के इलाक़े पर क़ब्ज़ा किया जिसकी आबादी १,४७,००,००० थी ; बेलजियम ने ९,००,००० वर्ग मील पर क़ब्जा किया जिसकी आबादी ३,००,००,००० थी; पुर्तगाल ने ८,००,००० वर्ग मील पर किया जिसकी आबादी ९०,००,००० थी। उन्नीसवीं शताब्दी के अंत में, और विशेष रूप से १८८० के बाद से , सभी पूंजीवादी देशों द्वारा उपनिवेशों की खोज में रहना कूटनीति तथा वैदेशिक राजनीति के इतिहास की एक सर्वविदित बात है।
ग्रेट ब्रिटेन में उस काल में, जब खुली प्रतियोगिता सबसे ज्यादा फल-फूल रही थी , अर्थात् १८४० से १८६० के बीच , ब्रिटेन के प्रमुख पूंजीवादी राजनीतिज्ञ औपनिवेशिक नीति के विरुद्ध थे और उनका यह मत था कि उपनिवेशों की मुक्ति तथा उनका ब्रिटेन से पूरी तरह अलग हो जाना अनिवार्य तथा वांछनीय है। एम० बियर ने “आधुनिक ब्रिटिश साम्राज्यवाद "*[१] शीर्षक एक लेख में, जो १८९८ में प्रकाशित हुआ था, यह बताया है कि १८५२ में डिज़रैली ने, जो एक ऐसे राजनीतिज्ञ थे जिनका झुकाव आम तौर पर साम्राज्यवाद की ओर रहता था, घोषणा की थी कि "उपनिवेश हमारी गरदन में चक्की के पाटों की तरह बंधे हुए हैं।” परन्तु उन्नीसवीं शताब्दी के अंत में ब्रिटेन के तत्कालीन नायक सेसील रोड्स तथा जोजेफ़ चैम्बरलेन थे, जो खुलेआम साम्राज्यवाद का समर्थन करते थे और बिल्कुल बेधड़क होकर साम्राज्यवादी नीति का अनुसरण करते थे।
- ↑ *«Die Neue Zeity, १६, १, १८९८, पृष्ठ ३०२ ।
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