पृष्ठ:साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था.djvu/१२८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

गति के साथ हुआ था और औद्योगिक पूंजी कमजोर हुई थी। साम्राज्यवाद की लाक्षणिक विशेषता यही है कि वह न केवल कृषि प्रदेशों पर बल्कि अत्यंत उद्योगीकृत प्रदेशों पर भी आधिपत्य जमाने की कोशिश करता है (बेलजियम को हड़प लेने की जर्मनी की लालसा ; लोरेन को हड़प लेने की फ्रांस की लालसा), क्योंकि (१) इस बात के कारण कि दुनिया का बंटवारा हो चुका है उन लोगों को, जो पुनर्विभाजन की बात सोच रहे हैं, , हर प्रकार के इलाके की तरफ़ हाथ बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ता है , और (२) अपना नेतृत्व स्थापित करने की अर्थात् नये इलाक़ों पर विजय प्राप्त करने की कोशिश में अनेक बड़ी ताक़तों की प्रतिद्वंद्विता साम्राज्यवाद की एक बुनियादी विशेषता है, जिसका उद्देश्य स्वयं अपने इलाके में वृद्धि करने की अपेक्षा अपने प्रतिद्वंद्वी को कमजोर करना और उसके नेतृत्व की जड़ें खोखली करना ज्यादा होता है (बेलजियम का महत्व जर्मनी के लिए विशेष रूप से इस कारण है कि वह उसे इंगलैंड के विरुद्ध अपनी कार्रवाइयों का अड्डा बना सकता है; इंगलैंड जर्मनी के खिलाफ कार्रवाइयों के लिए एक अड्डे के रूप में बगदाद पर अपना क़ब्ज़ा जमाना चाहता है , इत्यादि)।

कौत्स्की विशेष रूप से- और बार-बार - अंग्रेज़ों का हवाला देते हैं, जिन्होंने , उनके कथनानुसार "साम्राज्यवाद" शब्द का वही शुद्धतः राजनीतिक अर्थ लगाया है जो वह, यानी कौत्स्की, इस शब्द का अर्थ समझते हैं। यदि हम अंग्रेज़ हाबसन की रचना "साम्राज्यवाद" को लें, जो १६०२ में प्रकाशित हुई थी, तो उसमें हम पढ़ते हैं :

"नया साम्राज्यवाद पुराने साम्राज्यवाद से भिन्न है, पहले तो इस दृष्टि से कि उसने एक ही बढ़ते हुए साम्राज्य की महत्वाकांक्षा के बजाय आपस में प्रतियोगिता करनेवाले साम्राज्यों के सिद्धांत तथा व्यवहार को अपना लिया है, जिनमें से प्रत्येक साम्राज्य राजनीतिक क्षेत्र-वृद्धि तथा

१२८