पृष्ठ:साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था.djvu/१४६

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के लिए आनेवालों की भरमार रहती है, यानी धनवान अभिजात वर्गीय-लोगों के छोटे-छोटे समूह जो सुदूर पूर्व से डिवीडेंड और पेंशनें वसूल करेंगे, इससे कुछ बड़ा समूह पेशवर सेवकों तथा व्यापारियों का होगा और एक बहुत बड़ा समूह ज़ाती नौकर चाकरों और यातायात व्यवसाय तथा अधिक जल्दी खराब हो जानेवाली चीज़ों के उत्पादन की अंतिम अवस्थाओं में काम करनेवाले कर्मचारियों का होगा। सभी बुनियादी उद्योगों का लोप हो चुका होगा, मुख्य खाद्य-सामग्री तथा अध-तैयार माल एशिया तथा अफ़्रीका से नज़राने के रूप में आया करेगा।" "हमने पश्चिमी राज्यों के इससे भी बड़े गंठजोड़ की, बड़ी ताक़तों के उस यूरोपीय संघ की संभावना का पहले ही से चित्रण कर दिया है जो अब तक की तरह विश्व सभ्यता के ध्येय को आगे बढ़ाने के बजाय संभव है पश्चिमी परजीविता का विशाल संकट खड़ा कर दे। यह उन उन्नत औद्योगिक राष्ट्रों का समूह होगा जिनके उच्चतर वर्ग एशिया तथा अफ्रीका से नज़राना वसूल करेंगे, जिसकी सहायता से वे उन अत्यंत बहुसंख्यक सेवक-समुदायों का भरण-पोषण करेंगे, जिनसे कृषि अथवा कारखानों के मुख्य उद्योगों में काम नहीं लिया जायेगा बल्कि वे एक नये वित्तीय अभिजात वर्ग के नियंत्रण में निजी या छोटी-मोटी औद्योगिक सेवाएं किया करेंगे। जिन लोगों का इस सिद्धांत (इसे संभावना कहना अधिक उचित होगा) के बारे में "यह संदेह है कि यह विचार करने योग्य नहीं है वे दक्षिणी इंगलैंड के उन जिलों की आज की आर्थिक तथा सामाजिक परिस्थितियों की छानबीन करें जो इस हालत में पहुंच चुके हैं, और इस पद्धति के बहुत विस्तृत रूप से फैल जाने पर विचार करें जो महाजनों, 'पूंजी लगानेवालों' के ऐसे ही समूहों और उनके राजनीतिक तथा व्यापारिक पदाधिकारियों का चीन पर आर्थिक नियंत्रण स्थापित हो जाने से संभव हो सकता है, जो संसार में मुनाफ़े के अब तक ज्ञात सबसे बड़े निहित भंडार को धीरे-धीरे खाली करते

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