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पृष्ठ:साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था.djvu/१५०

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अधिकांश सदस्य इसी उच्चतर स्तर के लोग होते हैं, निर्वाचन-व्यवस्था इसी स्तर के अनुकूल बनायी गयी है, ग्रेट ब्रिटेन में निर्वाचन-व्यवस्था "अभी तक इतनी काफ़ी सीमित है कि ख़ास सर्वहारा वर्ग का निम्नतर स्तर इसमें शामिल न हो सके" !! ब्रिटेन के मजदूर वर्ग की हालत को आकर्षक रूप में पेश करने के लिए, आम तौर पर इसी उच्चतर स्तर का उल्लेख किया जाता है, जो सर्वहारा वर्ग का बहुत ही छोटा अल्पमत है। उदाहरण के लिए , "बेरोज़गारी की समस्या मुख्यतः लंदन की और सर्वहारा वर्ग के निम्न स्तर की समस्या है जिसको राजनीतिज्ञ बहुत कम महत्व देते हैं"*[]... उन्हें कहना चाहिए था : जिसको पूंजीवादी राजनीतिज्ञ और "समाजवादी" अवसरवादी बहुत कम महत्व देते हैं।

जिन बातों का हम उल्लेख कर रहे हैं उनसे संबंधित साम्राज्यवाद की एक ख़ास विशेषता यह है कि साम्राज्यवादी देशों से उत्प्रवास घटना जा रहा है और अधिक पिछड़े हुए देशों से, जहां कम मजदूरी मिलती है, इन देशों में आप्रवास बढ़ता जा रहा है। जैसा कि हाबसन ने बताया है ग्रेट ब्रिटेन से उत्प्रवास १८८४ से घटता रहा है। उस वर्ष उत्प्रवासियों की संख्या २,४२,००० थी, जबकि १९०० में यह संख्या घटकर १,६९,००० रह गयी। जर्मनी से उत्प्रवास १८८१ और १८९० के बीच अपने उच्चतम शिखर पर पहुंचा, इन वर्षों में उत्प्रवासियों की कुल संख्या १४,५३,००० थी। इसके बाद के दो दशकों में यह संख्या घटकर ५,४४,००० और ३,४१,००० रह गयी। दूसरी ओर आस्ट्रिया, इटली, रूस तथा अन्य देशों से जर्मनी में आनेवाले मजदूरों की संख्या में वृद्धि हुई। १९०७ की जनगणना के अनुसार जर्मनी में १३,४२,२९४ विदेशी थे जिनमें से ४,४०,८०० प्रौद्योगिक मज़दूर


  1. *Schulze-Gaevernitz, «Britischer Imperialismus», पृष्ठ ३०१।

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