आशाप्रद क्षेत्रों में एक खतरा बन जाता है और यूरोपीय पूंजी अपने प्रभुत्व को केवल अपने सैन्य-बल में निरंतर वृद्धि करके ही कायम रख सकती है।"[१]
इसके साथ ही यह और कह देना चाहिए कि नये देशों में ही नहीं बल्कि पुराने देशों में भी साम्राज्यवाद दूसरों के इलाक़े को अपने राज्य में मिलाने की दिशा में, जातीय उत्पीड़न को बढ़ाने की दिशा में जा रहा है और फलस्वरूप उसके खिलाफ़ विरोध भी बढ़ रहा है। कौत्स्की इस बात पर तो आपत्ति करते हैं कि साम्राज्यवाद राजनीतिक प्रतिक्रिया को बल देता है, पर वह एक ऐसे प्रश्न को बिल्कुल अंधकार में छोड़ देते हैं, जो विशेषतः तात्कालिक महत्व का हो गया है, अर्थात् यह प्रश्न कि साम्राज्यवाद के युग में अवसरवादियों के साथ एकता असंभव है। वह दूसरों के इलाके को अपने राज्य में मिलाने पर आपत्ति तो करते हैं पर वह अपनी इस आपत्ति को ऐसे रूप में व्यक्त करते हैं जो अवसरवादियों के लिए सबसे अधिक स्वीकार्य तथा सबसे कम आपत्तिजनक हो। वह जर्मन पाठकों को संबोधित करते हैं, पर सबसे सामयिक तथा सबसे महत्वपूर्ण बात पर परदा डाल देते हैं, उदाहरण के लिए, जर्मनी का अलसेस-लोरेन को अपने राज्य में मिला लेना। कौत्स्की के इस "मानसिक विकार" का मूल्यांकन करने के लिए हम निम्नलिखित उदाहरण लेंगे। मान लीजिये, कोई जापानी फ़िलिपाइन पर अमरीका के आधिपत्य की निंदा कर रहा है। सवाल यह है : क्या बहुत-से लोग इस बात पर विश्वास करेंगे कि वह केवल इसलिए ऐसा कर रहा है कि उसे इस बात से नफ़रत है कि कोई किसी दूसरे के इलाके पर आधिपत्य जमाये, और इसलिए नहीं कि वह स्वयं फ़िलिपाइन को अपने
१७४
- ↑ "वित्तीय पूंजी", पृष्ठ ४८७।