टिप्पणियां
1"साम्राज्यवाद, पूंजीवाद को चरम अवस्था" शीर्षक पुस्तक १९१६ के पूर्वार्द्ध में लिखी गयी थी। बर्न में रहते हुए, १९१५ में ही लेनिन ने साम्राज्यवाद सम्बन्धी साहित्य का अध्ययन और जनवरी १९१६ में उक्त पुस्तक का लेखन आरंभ किया था। उस वर्ष जनवरी के अन्त में लेनिन ज़ूरिच में रहने चले गये और ज़ूरिच प्रादेशिक पुस्तकालय में पुस्तक सम्बन्धी काम जारी रखा। लेनिन ने सैकड़ों विदेशी पुस्तकों, पत्रिकाओं, समाचारपत्रों और सांख्यिकीय संकलनों से जो उद्धरण, सारांश, टिप्पणियां और सारणियां संगृहीत की वे पुस्तक के चालीस फ़र्मों से अधिक हैं। यह सामग्री १९३९ में पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुई। पुस्तक का शीर्षक था : "साम्राज्यवाद सम्बन्धी नोटबुकें"।
१९ जून (२ जुलाई) १९१६ के दिन लेनिन ने पुस्तक का लेखन समाप्त किया और पाण्डुलिपि 'पारुस' (पाल) पब्लिशर्स के पास भेज दी। इस प्रकाशन गृह में काम करनेवाले मेन्शेविक तत्त्वों ने कौत्स्की और रूसी मेन्शेविकों (मारतोव आदि) की कड़ी आलोचना करनेवाले हिस्से पुस्तक में से हटा दिये। लेनिन ने जहां (पूंजीवाद की पूंजीवादी साम्राज्यवाद में) "वृद्धि" शब्द लिखा था, उन्होंने उसके बदले
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