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पृष्ठ:साम्राज्यवाद, पूंजीवाद की चरम अवस्था.djvu/४०

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मार्क हैं, पुराने विश्व में पूंजी के सबसे विशाल और साथ ही सबसे विकेंद्रित संचय का प्रतिनिधित्व करता है।"*[]

हमने "सम्बद्ध" बैंकों के हवाले पर ज़ोर इसलिए दिया है कि यह आधुनिक पूंजीवादी संकेंद्रण की एक सबसे महत्वपूर्ण लाक्षणिक विशेषता है। बड़े कारखाने , और विशेष रूप से बैंक , छोटे कारखानों को केवल पूरी तरह हड़प ही नहीं लेते हैं बल्कि उनकी पूंजी में 'होल्डिंगें" हासिल करके , शेयर खरीदकर या शेयरों का विनिमय करके , ऋणों की एक श्रृंखला आदि , आदि उपायों द्वारा उन्हें "अपने में मिला लेते" हैं , उन्हें अपने अधीन कर लेते हैं और उन्हें "अपने" समूह या ( यदि हम इस व्यवसाय की ठेठ शब्दावली का प्रयोग करें) अपने "कंसर्न" में ले आते हैं। प्रोफ़ेसर लिएफ़मैन ने लगभग ५०० पृष्ठ का एक बहुत मोटा “ग्रंथ" लिखा है जिसमें उन्होंने आधुनिक “होल्डिंग तथा फाइनैन्स कम्पनियों" का वर्णन किया है;**[] पर दुर्भाग्यवश उस मूल सामग्री के साथ जिसे वह बहुधा पचा नहीं पाये हैं उन्होंने बहुत ही घटिया किस्म के अपने “सैद्धांतिक" विचार भी जोड़ दिये हैं। संकेंद्रण के सिलसिले में “होल्डिंग" की इस पद्धति का क्या परिणाम होता है इसका सबसे अच्छा विवरण जर्मनी के बड़े बैंकों के बारे में रीसेर की, जो स्वयं एक “बैंकवाले" हैं , पुस्तक में मिलता है। परन्तु उनकी तथ्य-सामग्री को जांचने से पहले हम “होल्डिंग" पद्धति का एक ठोस उदाहरण देंगे।


  1. * Schulze-Gaevernitz, , «Grundriss der Sozialökonomik» में «Die deutsche Kreditbanko ( सामाजिक अर्थशास्त्र की रूपरेखा में जर्मनी के ऋण बैंक - अनु०), Tibingen 1915, पृष्ठ १२ तथा १३७ ।
  2. ** R. Liefmann, «Beteiligungs und Finanzierungsgesellschaften. Eine Studie über den modernen Kapitalismus und das Effectenwesen» , 1, Aufl., Jena 1909, पृष्ठ २१२ ।

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