पूंजीपति इंग्लैंड तथा जर्मनी से जलते हैं : १९१५ में उन्होंने यह शिकायत की थी कि “दक्षिणी अमरीका में पांच जर्मन बैंकों की चालीस शाखाएं और पांच अंग्रेज़ बैंकों की सत्तर शाखाएं हैं ... इंगलैंड और जर्मनी ने पिछले पच्चीस वर्षों में अर्जेन्टाइना , ब्राज़ील तथा उरुग्वे में लगभग चार अरब डालर की पूंजी लगायी है और फलस्वरूप वे आपस में इन तीन देशों के कुल व्यापार के ४६ प्रतिशत भाग पर कब्जा जमाये हुए हैं। "*[१]
पूंजी का निर्यात करनेवाले देशों ने तो अपने बीच दुनिया का बंटवारा जिस अर्थ में कर रखा है वह इस शब्द का आलंकारिक अर्थ है। परन्तु वित्तीय पूंजी के फलस्वरूप तो दुनिया का बंटवारा सचमुच हो गया है।
५. पूंजीपति संघों के बीच दुनिया का बंटवारा
इजारेदार पूंजीपति संघ, कार्टेल , सिंडीकेट तथा ट्रस्ट सबसे पहले तो अपने देश के बाज़ार को आपस में बांट लेते हैं, उस देश के उद्योगों को कमोबेश पूरी तरह अपने कब्जे में कर लेते हैं। परन्तु पूंजीवाद के अंतर्गत अपने देश का बाज़ार अनिवार्य रूप से विदेशी बाज़ार के साथ सम्बद्ध होता है। पूंजीवाद ने मुद्दत से ही विश्वव्यापी बाज़ार तैयार कर रक्खा है। जैसे-जैसे पूंजी का निर्यात बढ़ता गया और बड़े-बड़े इजारेदार संघों के विदेशी तथा औपनिवेशिक संबंध तथा "प्रभाव-क्षेत्र"
- ↑ * The Annals of the American Academy of Political and Social Science, Vol. LIX, May 1915, p. 301. इसी खंड में पृष्ठ ३३१ पर हम पढ़ते हैं कि प्रख्यात सांख्यिकीविद पेश ने «Statist» नामक वित्तीय पत्रिका के पिछले अंक में यह अनुमान लगाया था कि इंगलैंड , जर्मनी, फ्रांस , बेलजियम तथा हालैंड ने ४०,००,००,००,००० डालर अर्थात् २,००,००,००,००,००० फ्रांक की पूंजी निर्यात की।
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