पृष्ठ:साहित्यलहरी सटीक.djvu/१८०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

हों में सूरदास नीचे प्रकाश जो काव सनम अगनित बिमलभक्ति सरसावन । विरचत कृष्ण चरित पदपावन ॥ रहे करत गायन संसारा । सकल लोक हित हृदय बिचारा ॥१०॥ पदन प्रबंध सूर जन नागर । बाध्यो जनहुँ सेतु भव सागर ॥ विनु प्रयास कलिकाल मझारा । तहि प्रसाद उतरत सब पारा ॥११॥ दोहा—सूर सूरसम बिदतजग , सकल कविन सिरमोर । सूरस्याम जहि भक्ति बस, भए भक्त चित चोर ॥१॥ जो लो बिचरें धरण तल , पलन बिसारे स्याम । भए अंत अलचर नकल , कंज कृष्ण अभिराम ॥२॥ बाबू रघुनाथ सिंह तालुकेदार भदवर ने मुझे १६ दोहे दिये थे उन . दोहों में सूरदास के समय के कवियों के नाम है पर कईएक में मुझे संदेह है जो हो वे दोहे नीचे प्रकाश किये जाते हैं। दोहा--सूरदास के समय में, जो कवि भये महान । उन सब से बढ़ि के सवें, इन्हें करत : सनमान ॥१॥ ओलिराम अकबर अगर, दास कबी करनेस । चतुरबिहारी गोपकवि, घनआनंद अमरेस ॥२॥ आसकरन अजवेस अरु, कादर केसवदास । टोडर गोविंद जैतकवि, चरन चतुरभुजदास ॥ ३ ॥ जीवन केसो ताजकवि, होलराय कवि खेम । जोधा जोयसी चंदसपि, कृष्णदास कवि छम ॥ ४ ॥ अमृत खानखाना जगन, ऊधोराम कमाल । जमालुदीन जगनंद कवि, गोविंददास जमाल ॥५॥ जमालुदीन कल्यान कवि, फैजी ब्रह्म फहीम । अभयराम परसिद्ध कवि, विट्टलबिपुल रहीम ॥६॥ अमरसिंह घनश्याम हूं, दील्ह नरोत्तमदास । चेतनचंद कविंद भट, बारक : . विद्यादास ॥७॥ छितस्वामी भगवतरासिक, छत्र बिहारीलाल । मिश्रगदाधर मानसिंह, लाल्न मोतीलाल ॥ ८॥ .y93. १८ ३० ३१ 33 ४ ४४ ५२५3 ६१. ६२