पृष्ठ:साहित्यलहरी सटीक.djvu/१८१

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Sg नराय ६७ घनाथ । 100 ८० २ _ ८४ ८५ ८८ ८९ २ १०१ १०३ १०९ १८० । हरीदास हरिनाथकवि, मानराय रघुनाथ ।। मिश्रगनेस कबीर अरु, लीलाधर कबिनाथ ॥९॥ दामोदर दिलदार कवि, दौलत नागर दास । नंदन हितहरिवंस कवि, सैन नारायनदास ॥१०॥ नीलकंठ नंदलाल कबि, नंददास रसखान । नाभा नरबाहन नरसि, नारायणभट तान ॥ ११ ॥ निपटनिरंजन इंद्रजित, पृथीराज को जान । लछमीनारायन । हरी, बलीभद्र. को मान ॥ १२ ॥ बिद्दलनाथ बिसुनाथ कवि, पदुमनाम परवीन । भगवनदास मनोहरा, परमानंद नवीन ॥ १३ ॥ मानिकचंद निहाल कवि, मुकुंद मुबारक वीर। देव दिनेश न दानकीब, तेही तोषी न धीर ॥ १४ ।। श्रीपति जद्यपि भक्ति में, न्यून न कछुक लखात । . तद्यपि कविता में कहीं, समता कछु न दिखात ॥ १५॥ विद्यापति आदिक कबिन, जितने भये सुजान । काव्य भाव में सूर सम, तुलसी * एक प्रमान ॥ १६ ॥ चौरासीवार्ता-बाल कृष्ण जी से। अब श्री आचार्य जी महाप्रभून के सेवक सूरदास जी गऊघाट ऊपर रहते तिन की वार्ता। सो एक समें श्री आचार्य जी महाप्रभू अंडेलते ब्रज को पाउं धारे सो कितनेक दिन में गऊघाट आये सो गऊघाट आगरे और मथुरा के बीचा- १४--अगरदास और अगर कवि । ९१-धौर नरिन्द्र भी इन का नाम है। ९२- प्रवीनराय पातुरी। १००--भगवानदास (* अंक वाले कविक्षों का आगे वर्णन किया जायगा ।