[ ११९ कविता खेती इन लुनी , सीला बिनत मंजूर ॥१॥ तुलसी रबि सूरज शशी , उड़गण केशव दास । पड़ा कि बाबू रघुनाथ सिंह के दोहे ठीक हैं कि नहीं। यह तो मुक्त कंठ से कहना पड़ेगा कि उस दोहे के अनेक कवियों का सूरदास का सामयिक होना ठीक है परन्तु कईएक में भ्रम है उस में भी यह नहीं कहा जा सकता है कि इस नाम के और कवि न हुये हों परन्तु “शिवसिंह सरोज" से जो मैं ने कवियों का समय प्रकाश किया है उस में अवश्य भ्रम है। - हरिश्चन्द्र जी ने लिखा है सूरदास के समय में तुलसी दास जी न हुए उस का कारण सोचने से यह मालूम होता है कि नन्ददास जी के भाई तुलसीदास जी पर ध्यान गया है क्योंकि वैष्णवों की चौरासीवार्ता में लिखा है कि तुलसी दास और नन्ददास भाई हैं और नन्ददास का समय सम्बत् १५८५ का है और तुलसीदास नन्ददास का भाई गोसाईचरित्र उर्दू में भी लिखा है। अथवा . मीराबाई के समय पर ध्यान गया होगा क्योंकि "भक्तकल्पद्रुम" और "रामरसिका- वकी" तथा "हरिभक्तप्रकाशिका" में मीराबाई और तुलसीदास की बातचीत लिखी है परन्तु मीराबाई का समय तुलसीदास के समय में मेरी सम्मति से नहीं है। _क्योंकि 'शिवसिंहसरोज' में मीराबाई के विषहर में यह लिखा है । " मीराबाई सं० १४७५में हुई। हमने इनका जीवनचसिकाईक्तिमाल तुलसीदास कायस्थ कृत में देखा और तारीख चित्तौर से मिलाया तो बडागारक पाया गया अब हम इन का हाल चित्तौर के प्राचीन प्रबंध से लिखते हैं ए मीराबाई माडवार देश में राना राठौरवंसावतंस मेरतिया देशाधिपति के इहां उत्पन्न हुई थी यह रियासत सारे माडवार के फिरकों में उत्तरोत्तर है और मीराबाई का विवाह संवत् १४७० के करीब राना मोकल देव के पुत्र राना कुंभकरन चितौर नरेश के साथ हुवा था संवत् १५२५ में ऊदाराना के पुत्र ने राना को मारडाला मीरा- बाई महा स्वरूपवान औ कविता में आत निपुणा थीं रागगोविंद ग्रंथ भाषा में बहुत ललित बनाया है चित्तौरगढ़ में दो मंदिर करीब महल राना राय मल के थे एक राना कुंभू का औ दूसरा मीराबाई का सो मीराबाई अपने इष्टदेव श्यामनाथ की उसी मंदिर में अस्थापन करि नृत्य गीत भाव भक्ति से रिझाया करती थीं एक दिन श्यामनाथ मीरा के प्रेमवस है चौकी से उतरि अंक में ले बोले हे मीरा, केवल एतना ही शब्द राधानाथ के मुंह से सुनि
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