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साहित्यालाप
हितोपदेश में है-"पज्जतन्त्रात्तथान्यस्माद ग्रन्थादाकृष्य
लिख्यते"। अर्थात् पञ्चतन्त्र तथा और और ग्रन्थों से भी विषयों
का संग्रह करके यह पुस्तक लिखी जाती है । फ़ारिस के
बादशाह नौशेरवां की आज्ञा से हितोपदेश का अनुवाद, ५५०
ईसवी में, फ़ारसी भाषा में, हुआ था । अतएव आज से कोई
१४०० वर्ष पहले लिखने का प्रचार बहुत कुछ हो गया था।
हितोपदेश से उद्धृत किये गये पूर्वोक्त वाक्य में "लिख्यते" पद इसकी गवाही दे रहा है।
इन प्रमाणों से यह निर्विवाद है कि हमारी देवनागरी लिपि यदि बहुत पुरानी नहीं तो २५०० वर्ष की पुरानी ज़रूर है।
[आक्टोबर १९०५]