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भारतीय भाषायें और अंँगरेज़


बहुत मज़ेदार हैं । जिस अध्याय में ये उदाहरण हैं उसमें और भी दो एक बातें जानने लायक हैं। इससे हम उनको यहां लिखना चाहते हैं। अच्छा, तो, अब, इसके आगे, जो बातें हम सुनाना चाहते हैं वे स्लीमन साहब ही के मुंँह से सुनिए ।

एक दिन आगरे में पादरी ग्रगरी ने हम लोगों के साथ खाना खाया। मेजर गाड बाई ने उनसे पूछा---कहिए हमारे धर्म ने यहां कितनी उन्नति की?

पादरी साहब ने कहा उन्नति ! उन्नति की आशा करना बहुत दूर की बात है। अजी, यहां तो ईसा की करामाते बयान करना शुरू करते ही इस देशवाले कृष्ण की उनसे भी सौगुनी अधिक अद्भुत करामातें उल्टा हमें सुनाने लगते हैं। वे कहते हैं कि हमारे कृष्ण ने गोवर्धन पहाड़ को छाते की तरह अपनी उँगली पर उठा लिया और जब तक पानी बरसता रहा उसे वैसे ही उठाये रहे । यदि कोई पादरी हिन्दुओं से यह कहे कि हमारे सेंटपाल नामक साधु ने कारिंथवालों के किसी धर्म विषयक सन्देह को दूर करने के लिए आसमान से सूर्य और चन्द्रमा को जमीन पर उतार लिया और काम हो जाने पर गेंद के समान उछाल कर उनको फिर अपनी अपनी जगह पर बिना चोट लगे पहुंचा दिया तो सय लोग खुशी से उस की बात पर विश्वास कर लेंगे। पर हां, यह सुन कर एक बात वे करेंगे। गोपियों का दिल बहलाने के लिए या और किसी कारण से कृष्ण की उससे भी अधिक अद्भुत और अलौकिक करामातो को वे सच्चे विश्वास से बयान करेंगे।