मनुष्य देवनागरी लिपि लिखते हैं और कितने फारसी, यह आत नीचे के नक्शे से अच्छी तरह प्रकट हो जायगीः—
देवनागरी | फारसी | |
हिन्दू | ८४ | १५ |
मुसलमान | १४ | ८१ |
आर्य | ५६ | ३६ |
जैन | ७९ | १९ |
किरानी | ३६ | ५२ |
देख लीजिए, देवनागरी अतरों का कितना व्यापक प्रचार इन प्रान्तों में है। १०० में १४ मुसलमान तक यही अक्षर व्यवहार में लाते हैं। श्रायौँ, जैनों और हिन्दुओं का तो कहना ही क्या है। सिर्फ मुसलमान और देशी किरिस्तान ही फारसी अक्षरों से अधिक काम लेते हैं। पर उनको संख्या इन प्रान्तों में दाल में नमक के बराबर है। फिर एक बात और भी विचार करने योग्य है। वह यह कि फारली अतरों का सबसे अधिक प्रचार केवल रुहेलखण्ड की कमिश्नरी में है, जहाँ १०० में ५५ आदमी फ़ारसी अक्षर लिखते हैं। इस कमिश्नरी को छोड़ कर और कहीं भी फारली अतर लिखने वालों की संख्या देवनागरी अक्षर लिखनेवालों से अधिक क्या, उनके बराबर भी नहीं। कमाऊ में तो फ़ीसदी ७ अदमी भी फ़ारसी अक्षर नहीं लिखते। सारे सूबे में ७२ आदमी अगर देवनागरी लिपि लिखते हैं तो सिर्फ २५ फारसी लिपि और ३ अन्य लिपि, इससे यह निर्विवाद सिद्ध है कि इन प्रान्तों में देवनागरी