पृष्ठ:साहित्यालाप.djvu/२१३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२०८
साहित्यालाप

इस विषय पर जितना ही अधिक विचार किया जायगा उतना ही अधिक विरोध केलिए जगह निकलती आवेगी । सरकार ने हिन्दी और उर्दू दोनों को निकाल कर उनके आसन पर जो "हिन्दुस्तानी" को बिठा दिया है, यह बात इस प्रान्त के प्रत्येक विवेकशील मनुष्य के हृदय में खटक पैदा करनेवाली है। बड़े ही परिताप की बात है कि इस इतने महत्त्व की घटना या दुर्घटना पर, जहाँ तक हम जानते हैं, किसी ने अब तक चूँ तक नहीं किया। हाँ, एक मासिक पत्रिका में दो चार सतरें ज़रूर देखी गई हैं।

नवम्बर १९२३

-----