मुहम्मद बिन साम ने इसे दी थी। "स्त्री हंमीरः" तो इसके कई सिक्कों पर है। परन्तु एक में इसका नाम भी है। यथा—
एक तरफ़
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दूसरी तरफ़
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जिस सिक्के पर जगह रही है उस पर "सुरिता" के आगे "ण" रखकर "सुरिताण" (सुल्तान) पूरा कर दिया गया है।
पांचवां बादशाह रुक्नुद्दीन फीरोज़शाह
(१२३५-३६ ई॰)
यह बड़ा ही ऐय्याश और दुःशील बादशाह था। इसने कुल ६ महीने राज्य किया। इसके एक सिक्के में वही "स्त्री हंमीरः" है। इसका दूसरा सिक्का बहुत दुर्लभ है। वह ५१ ग्रेन तौल में है। धातु उसकी चाँदी-ताँबा है। उस पर है—
एक तरफ़
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दूसरी तरफ़
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छठी बादशाहज़ादी रिज़ीया (२३६-३९ ई॰)
इसके पहले तुर्किस्तान में मलिका तुरकान और तुरकाने ख़ातून नाम की दो स्त्रियां राज्यासन पर बैठ चुकी थीं। परन्तु हिन्दुस्तान के लिए एक स्त्री का बादशाह होना यह पहला ही उदाहरण है। रिज़ीया अल्तमश की लड़की थी। रुक्नुद्दीन को उसकी माँ ने गद्दी से उतार दिया और माँ को हटा कर रिज़ीया