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साहित्यालाप


बटालियने और सिकों की सेनाये समालोचक पर सहसा टूट न पड़े। विशेषतापूर्ण उत्कृष्ट समालोचनायें वही कही जा सकती हैं, सरस्वती में प्रकाशित समालोचनायें नहीं। उन्हें तो सर्वथा अपकृष्ट और विशेषता हीन समझना चाहिए।

अगस्त १९२५