पृष्ठ:साहित्य का इतिहास-दर्शन.djvu/२०

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अध्याय ३ का प्राबल्य होता है। यह तो स्पष्ट ही शाब्दिक अपप्रयोग है, किन्तु संसार की घटनाओं के संक्रमण के लिए दूसरा कोई एक उत्तम शब्द न होने के कारण इसका व्यवहार करना ही पड़ता है । जिस दूसरे महत्त्वपूर्ण अर्थ में 'इतिहास' शब्द का व्यवहार होता है, वह है संसार की घटनाबों या उनके कुछ अंशों के प्रवाह का आलेखन । यह उचित और सर्वाधिक प्रचलित प्रयोग है। इसी अर्थ में हम भारत, इंगलैंड आदि के, या विज्ञान, कला, साहित्य प्रति के, किंबहुना किसी भी ऐसी वस्तु के इतिहास की बात कहते हैं, जो काल-क्रम में विकसित हुई है और अपने पीछे विकास के चिह्न छोड़ती चली आई है। इस अर्थ में 'इतिहास' शब्द का व्यवहार उचित और अत्यधिक प्रचलित होने पर भी एक उलझन पैदा करता है और वह उलझन इस विवाद की तह में है कि इतिहास विज्ञान है या कला । यदि इतिहास विवरणों का आलेखन, वर्णन है तो वह साहित्यिक रचना की कृति है, और साहित्यिक रचना अवश्य एक कला है । किंतु, यदि साहित्यिक रचना की कला इतिहास के लिए व्यवहृत होती है तो इसके लिए उपयुक्त शब्द है इतिवृत्त-हिस्टोरियोग्राफी' । यह शब्द व्यवहृत होता है तो विवाद समाप्त हो जाता है। इतिवृत्त कला है या विज्ञान ?-ऐसा प्रश्न उठता है तो उत्तर यही हो सकता है कि वह निस्संदिग्ध कला है। 'इतिहास' (हिस्ट्री) शब्द का तीसरा अर्थ, लोकिक और व्युत्पत्तिलभ्य अर्थ, है 'गवेषणा'. या 'गवेषणा से प्राप्त जानकारी', या 'गवेषणा की किसी प्रक्रिया से उपलब्ध ज्ञान' । इसका अंतर्निहित भाव है सत्य का अन्वेषण, अनुसंधान, अनवरत अनुसरण । इस अर्थ में इतिहास विज्ञान के अतिरिक्त और कुछ नहीं है । अब क्रमत: अनेक प्रश्न उठते हैं । इतिहास यदि विज्ञान है तो किस प्रकार का विज्ञान है ? यह पहला प्रश्न है। उत्तर यह है कि इतिहास खगोल-विद्या के समान प्रत्यक्ष निरीक्षण पर अवलंबित विज्ञान नहीं है, न वह रसायन-शास्त्र की तरह प्रयोग का विज्ञान है। वह विवेचन का विज्ञान है और प्राकृतिक विज्ञानों में भूगर्भविद्या के समीपतम है । भूगर्भ विद्या-विशारद आज जैसी पृथ्वी है, उसका निरीक्षण इसलिए करते हैं कि संभव हो तो पता लगाया जाय कि वह जैसी है वैसी कैसे हुई; इतिहासकार अतीत के विद्यमान अवशेषों का इस उद्देश्य से अध्ययन करता है कि वर्तमान का जो रूप है, उसकी व्याख्या की जा सके, उनमें। छिपे कर्म के उत्स का, आध्यात्मिक और शाश्वत वास्तविकता का उद्घाटन हो सके। दूसरा प्रश्न है, इतिहास किन वस्तुओं का अन्वेषण करता है ? संक्षिप्त उत्तर है कि वह अतीत के ऐसे सभी अवशेषों और आलेखनों का अन्वेषण करता है, जिनसे वर्तमान के समाधान और व्याख्या में सहायता मिल सके । तीसरा प्रश्न यह है कि इतिहास की विषय-वस्तु क्या है। वैज्ञानिक अर्थ में इतिहास की विषय-वस्तु कुछ नहीं है । यह अन्वेषण की एक प्रणाली मात्र है। विषय-वस्तु मृहीत करने के लिए यह किसी विशेषण के संबंध की अपेक्षा करता है। उदाहरणार्थ, राजनैतिक इतिहास में राज्य की अतीत घटनाओं का विवेचन रहता है। धार्मिक इतिहास में धर्म-संबंधी अतीत