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पृष्ठ:साहित्य का इतिहास-दर्शन.djvu/८९

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साहित्य का इतिहास-दर्शन

कीर्तन, कंडल्या या कुंडर्या, गान, गाली, गीत, गुजरी, चतुरंग, चरण, चरणाकुल-छंद, चुटकुला, चौपाई, इत्यादि।[]

इस प्रकार के वर्गीकरण के प्रयत्न के पीछे फ्रेंच वैदुष्य स्पष्ट ही अनुमेय है। यह दूसरी बात है कि हिंदी कृतियों के कामचलाऊ विवरण तक के अभाव में वर्गीकरण का कोई सम्यक् प्रयास संभव ही नहीं था और तासी को वर्णानुक्रमानुसारी विवरण से ही संतुष्ट रहना पड़ा।

टिप्पणियाँ

१। हिन्दुस्तानी एकेडेमी, इलाहाबाद, १९५३ ।
२। 'हिंदी साहित्य का एक प्राचीन इतिहास', कल्पना, अक्तूबर, १९५६ ।
३। वार्ष्णेय, 'अनुवादक की ओर से', पृ॰ ख ।
४। उपरिवत्, भूमिका, पृ॰ २०, ६३ ।
५। उपरिवत्, पृ॰पृ॰ २२-२८, ६४-७१ ।

  1. उपरिवत्, पृ॰पृ॰ २२-२८, ६४-७१ ।