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दन्तकथाओं का महत्व

 

गत ७ अगस्त को मास्को में सोवियत के सभी साहित्यिकों की एक विराट् सभा हुई थी जिसके सभापति संसार प्रसिद्ध मैक्सिम गोर्की थे। इस अवसर पर मैक्सिम गोर्की ने जो भाषण दिया, वह विषय और उसके निरूपण और मौलिक विचारों के लिहाज से बड़े महत्व का था। आपने दन्तकथाओं और ग्राम्य गीतों को बिलकुल एक नए दृष्टिकोण से देखा जिसने इन कथाओं और गीतों का महत्व सैकड़ों गुना बढ़ा दिया है। ग्राम्य साहित्य और पौराणिक कथाओं में बहुधा मानव जीवन के आदिकाल की कठिनाइयों घटनाओं और प्राकृतिक रहस्यों का वर्णन है। कम से कम हमने अब तक ग्राम्य साहित्य को इसी दृष्टि से देखा है। मैक्सिम गोर्की साहब और गहराई में जाते हैं और यह नतीजा निकालते हैं कि 'यह उस उद्योग का प्रमाण है, जो पुराने जमाने के मज़दूरों को अपनी मेहनत की थकावट का बोझा हल्का करने, थोड़े समय में ज्यादा काम करने, अपने को दो या चार टाँगो वाले शत्रुओं से बचाने और मन्त्रों द्वारा दैवी बाधाओं को दूर करने के लिए करना पड़ा।'

पुराणों और दन्तकथाओं में जो देवी-देवता आते हैं, वह सभी स्वभाव में मनुष्यों के से ही होते हैं। उनमें भी ईर्ष्या, द्वेष और क्रोध, प्रेम और अनुराग आदि मनोभाव लाये जाते हैं जो सामान्य मनुष्यों में है। इस दलील से यह बात गलत हो जाती है कि ये देवी-देवता केवल ईश्वर के भिन्न रूप हैं, अथवा मनुष्य ने जल, अग्नि, मेघ आदि से बचने के लिए उन्हे देवता का रूप देकर पूजना शुरू किया। मैक्सिम

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फा॰ ९