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दन्तकथाओ का महत्व

या सैलानी देवताओ की सृष्टि करने वाले मजदूर नहीं हो सकते । ये देवता तो उस वक्त बने है, जब मजदूरो पर धन का प्रभुत्व हो चुका था और जमीन पर कुछ लोग अधिकार जमाकर राजा बन बैठे थे । यहाँ तो सभी पुराण आत्मवाद और आदर्शवाद से भरे हुए है । लेकिन, मैक्सिम गोर्की ने दिखाया है कि ईसा के पूर्व जो प्रतिमावादी थे, उनमें आत्मवाद का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नही मिलता । अात्मवाद, जिसका सबसे पहले योरप में प्लेटो ने प्रचार किया, वास्तव मे मजदूर समाज की देव कथाअो का ही एक परिवर्तित रूप था और जब ईसा ने अपने धर्म का प्रचार किया, तो उनके अनुयायियो ने प्राचीन यथार्थवाद के बचे- खुचे चिन्हो को भी मिटा डाला और उसकी जगह भक्ति और प्रार्थना और रहस्यवाद की स्थापना की, जिसने आज तक जनता को सम्मोहित कर रखा है, और मानव जाति की विचार शक्ति का बहुत बडा भाग मुक्ति और पुनर्जन्म और विधि के मामलो मे पड़ा हुआ है, जिससे न व्यक्ति का कोई उपकार होता है,न समाज का ।