में भी एक दिन हम विजयी होगे । वह दिन देर में आयेगा या जल्द,
यह हमारे पराक्रम, बुद्धि और साहस पर मुनहसर है । हॉ, हमारा यह
धर्म है कि उस दिन को जल्द से जल्द लाने के लिये तपस्या करते रहे।
यही 'हंस' का व्येय होगा, और इसी ध्येय के अनुकूल उसकी नीति होगी।
कहते हैं, जब श्रीरामचद्र समुद्र पर पुल बॉध रहे थे, उस वह वक्त छोटे-छोटे पशु-पक्षियों ने मिट्टी ला लाकर समुद्र के पाटने मे मदद दी थी। इस समय देश में उससे कही विकट संग्राम छिड़ा हुआ है । भारत ने शान्तिमय समर की भेरी बजा दी है । हंस भी मानसरोवर की शान्ति छोड़कर, अपनी नन्ही-सी चोच मे चुटकी-भर मिट्ठी लिये हुए, समुंद्र पाटने-आजादी के जंग में योग देने-चला है । समुद्र का विस्तार देखकर उसकी हिम्मत छूट रही है; लेकिन संघ शक्ति ने उसका दिल मजबूत कर दिया है । समुद्र पटने के पहले ही उसकी जीवन-लीला समाप्त हो जायगी, या वह अन्त तक मैदान में डटा रहेगा, यह तो कोई ज्योतिषी ही जाने, पर हमे ऐसा विश्वास है कि हंस की लगन इतनी कच्ची न होगी। यह तो हुई उसकी राजनीति | साहित्य और समाज मे वह उन गुणों का परिचय देगा, जो परम्परा ने उसे प्रदान कर दिये हैं ।
न डोमिनियन मॉगे से मिलेगा, न स्वराज्य । जो शक्ति डोमिनियन छीनकर ले सकती है, वह स्वराज्य भी ले सकती है। इग्लैण्ड के लिये दोनों समान हैं । डोमिनियस स्टेटस में गोलमेज-कान्फ्रेंस का उलझावा है, इसलिये वह भारत को इस उलझावे में डाल कर भारत पर बहुत दिनो तक राज्य कर सकता है । फिर उसमे किस्तों की गुंजायश है और किस्तों की अवधि एक हज़ार वर्षों तक बढ़ाई जा सकती है । इसलिए इग्लैण्ड का डोमिनियम स्टेटस के नाम से न घबड़ाना समझ में आता है । स्वराज्य में किस्तों की गुंजायश नहीं, न गोलमेज़ का उलझावा