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एक प्रसिद्ध गल्पकार के विचार

उत्तर-नही, मुझे यह पसन्द नहीं है। मै फ्रासीसी शैली को अच्छा समझता हूँ। किसी एक चरित्र को अपना मुख-पात्र बना कर लिखता है और जो कुछ सोचता या अनुभव करता हूँ सब उसी के मुख से कहला देता हूँ। इससे कहानी मे यथार्थता आ जाती है ।

प्रश्न-लेखको के विषय मे, अन्त:प्रेरणा के विषय मे आपका क्या विचार है ?

उत्तर-मै तो अन्तःप्रेरणा को मानसिक दशा समझता हूँ । प्रत्येक कहानी, लेखक के मन का ही प्रतिबिम्ब होती है । भावो मे तीव्रता और गहराई पैदा करने के लिए प्रबल भावावेश होना चाहिए। यदि ऐसा आवेश न हो, तो भी गल्प के विषय को बार-बार सोचकर मन मे उन्हीं बातों की निरन्तर कल्पना करके हम अपने भावो मे तोव्रता उत्पन्न कर सकते है। मुझे किसी कहानी का शुरू करना बहुत कठिन मालूम होता है; लेकिन एक बार शुरू कर देने के बाद उसे अधूरा नहीं छोडता ।

इसके बाद और भी कुछ सवाल-जवाव हुए, जिनमे मि० ओपेन- हाइम ने बताया कि वह कहानी लिखने के पहले उसका कोई खाका नहीं तैयार करते, केवल उसका अन्त और उसका उद्देश्य सोच लेते है। गल्प के प्रारभ मे आप ने बताया कि उसे चाहे जिस रूप मे रखिए- वाक्य हो या सभाषण, कोई घटना हो या कल्पना, चाहे कोई अनुभूति या विचार हो-जो कुछ हो, ससमे मौलिकता, नवीनता और अनोखापन हो। वह सामान्य, लचर, सौ बार की दुहराई हुई बात न हो । अन्त मे आपने कहा कि गल्प-रचना में भी अन्य कलाओ की भाँति अभ्यास से सिद्धि प्राप्त हो सकती है।

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फा० १८