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रूसी साहित्य और हिन्दी

से प्रकाशित हुआ है । डाटावेस्की की एक पुस्तक का अनुवाद निकल चुका है। इस बीच मे अंग्रेजी या फ्रेच साहित्य की कदाचिन् एक भी पुस्तक का अनुवाद नहीं हुआ । जिन लेखको ने रूस को उस मार्ग पर लगाया, जिस पर चलकर आज वह दुखी संसार के लिए आदर्श बना हुआ है, उनकी रचनाएँ क्यों न आदर पाये ?

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