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साहित्य-सीकर

योग्य—बहुत योग्य—और विद्वान् होते हैं। उनमें एक खास बात पाई जाती है। वे लोग प्रायः अपना नाम गुप्त रखते हैं। अथवा वे किसी काल्पनिक नाम से लेख देते हैं। उसके संवाददाताओं की संख्या भी बहुत अधिक है। उनकी संख्या सैकड़ों है। विदेश के बड़े-बड़े नगरों में सर्वत्र उसके संवाददाता रहते हैं। टाइम्स के प्रचाराधिक्य और उसकी उन्नति का एक कारण यह भी है कि कोई और किसी श्रेणी का मनुष्य अपनी शिकायत लिख भेजे, तथ्यांश होने पर, टाइम्स उसे बहुत करके बिना छापे नहीं रहता। समाचार मंगाने का प्रबन्ध जितना अच्छा टाइम्स का है उतना और किसी भी पत्र का नहीं।

टाइस के समाचारों की सत्यता के विषय में एक घटना उल्लेख योग्य है। १८४० ईसवी में टाइम्स के एक संवाददाता ने पेरिस से यह समाचार भेजा कि जालसाजों के एक बड़े भारी दल ने जाली हुण्डियाँ बनाई हैं और वे शीघ्र ही एक दिन योरप के बड़े-बड़े बैंकों में पेश की जायँगी। टाइम्स ने सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर लेकर इस समाचार को, कुछ जालसाजों के नाम सहित, प्रकाशित कर दिया। समाचार सत्य निकला। फल यह हुआ कि कितने ही बैंक ठगे जाने से बच गये। एक आदमी ने, जो जालसाजों के दल का बताया गया था, टाइम्स के ऊपर मान हानि की नालिश ठोंक दी। अभियोग बहुत दिनों तक चला। अंत में टाइम्स ही की जीत हुई। परन्तु पचहत्तर हज़ार रुपया मुकद्दमें बाजी में स्वाहा हो गया। इस पर ग्राहकों ने टाइम्स की सहायता के लिए चन्दा किया; परंतु उसके स्वाभिमानी मालिकों ने चन्दे की रक़म लेना नामंजूर कर दिया और जो रुपया चन्दे से एकत्र हुआ था उसे उन्होंने एक स्कूल को दान कर दिया।

सर्व-साधारण की सेवा करते हुये टाइम्स को और भी कई बार आर्थिक हानि उठानी पड़ी है। उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध के अन्त