पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१०

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अनुक्रमणिका- प्रथम अध्याय- सितार और उसके रहस्य-१, सितार के अङ्ग-२ बोल चाल-३, जवारी खोलना-३, तार-४, परदे बांधना-५, मिजराब बनाना-६ । द्वितीय अध्याय- सितार के तार-७, बाज का तार-७, जोड़े के तार-७. पञ्चम का तार- गान्धार अथवा षड्ज का तार-७, लरज का तार-८, चिकारी के तार-८, तर३-८, सितार मिलाने का पुराना ढंग-८, सितार मिलाने का आधुनिक ढंग-८, सितार में अतिमन्द्र सप्तक-६, सितार के परदे-१०। तृतीय अध्याय--- सितार की बैठक या सितार पकड़ना-११, मिजराब पहिनना-११, दा या डा बजाना-१२, रा या डा बजाना-१२, तार दबाने में उङ्गलियों का प्रयोग-१२, मिजराब जल्दी चलने का गुप्त रहस्य-१२, बजाने में मिठास कैसे उत्पन्न करें-१३ । चतुर्थ अध्याय डा और डा-१६, दिर, दिड या डिड-१६, दार या डाड़-१६, द्रा-१६, दो अंगु- लियों में मिजराब पहिन कर द्रा बजाना-१६, गतों के घराने-१७, विलंबित गति-१७, द्रुत गति-१७, मध्य गति-१७, विभिन्न लयों अथवा गतियों का आपस में सम्बन्ध-१७, गतियों के धराने-१८, सैनवंशीय गतियों की विशेषताएँ-१८, मसीतखानी गतियों की विशेषताएँ-१८, रजाखानी गतियों की विशेषताएँ-१६ । पंचम अध्याय लाग-डाट-२०, मन्द्र सप्तक के पञ्चम से मध्य सप्तक के गान्धार तक की मींड का भ्रम उत्पन्न करना-२०, मींड-२१, अनुलोम मींड-२१, विलोम मीड-२१, क्रन्तन-२२, जमजमा-२२, मुर्की-२२, गिटकिड़ी-२३, कण-२३, एक ही मिजराब में संपूर्ण आरोही निकालना-२३, ग म ग म की मींड में 'म ग' न सुनाई देने की युक्ति-२४, झाले बनाना २४, उलट झाला-२५, सुलट भाला-२५, गमक-२५, 'सककस' का एक तैयार स्वरूप-२६। छठा अध्याय अलाप-२७, भराव-२७, अलाप की लय-२७, संहार अथवा अलाप का सम-२७, अलाप के पांच अङ्ग-२८, स्वर गुञ्जन-२८, मीड-२६, सारंगी टाइप की मीड-२६, गिटार टाइप की मीड-२६, वायलिन टाइप की मीड-२६, गमक-३०, तानों को । तैयार करने के लिये दोनों हाथों की तैयारी का उपाय-३०, श्रोताओं से वाहवाही कैसे