पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/१७५

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१५४ सितार मालिका तीया बजाना चाहें, उसी चाल की मिजराब लगाते हुए बारह की गिनती तक चाहे जो बजा डालिये । ज्यों ही तेरहवीं मात्रा आये, आप तीन ताल की एक आवृत्ति के १, ३, ४, ५, ६, या ७ धा वाले तीयों में से ( जो पन्द्रहवें अध्याय में दिये गये हैं) इच्छानुसार जोड़ कर बजा दीजिये । बस, यही आपका १४ मात्रा की ताल में तीया कहायेगा। इस प्रकार के तीये बजाने में एक बात का ध्यान रखना पड़ता है कि सुनने वालों को यह विदित न हो जाये कि आप तीया १३ वी मात्रा से चल रहे हैं । इसे गुणी तभी पकड़ सकेंगे जब कि आपकी मिजराब की चाल या तान की रविश बारह मात्रा तक तो एक प्रकार की आये और १३ वीं से दूसरी प्रकार की मालूम होने लगे। इसलिये प्रारम्भ से ही इसका ध्यान रखना आवश्यक है कि तान की चाल १३ वी मात्रा से अलग प्रतीत नहीं होनी चाहिये। इसी आधार से आप किसी भी ताल में मात्राएँ घटा-बढ़ा कर इन्हीं तीयों का प्रयोग भली प्रकार सफलता पूर्वक कर सकते हैं। यदि आपको ऐसा करने की इच्छा नहीं है, तो जैसे आपने तीन ताल के लिये टुकड़े याद किये हैं और उन्हें सितार में बजाते हैं, उसी प्रकार अन्य तालों के लिये भी बोल याद कर लीजिये और उन्हें ही सितार में बजाइये।