पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/२१५

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१८४ सितार मालिका रे ग म प म ग रे आदि। परे और ध नि रे की संगति राग को तुरन्त स्पष्ट करती है। कुछ विद्यार्थी तर्क किया करते हैं कि जब जैजैवन्ती में दोनों गान्धार व दोनों निषाद लगते हैं तब इसे काफी ठाठ से उत्पन्न क्यों नहीं माना जाता ? स्थूल दृष्टि से उनका तर्क उचित ही है। परन्तु यदि तनिक सूक्ष्म दृष्टि से देखें तो यह भेद स्पष्ट हो जाता है। काफी ठाठ में कोमल गांधार और कोमल निषाद हैं, जब कि काफी राग में ( ठाठ में नहीं) दोनों गांधार और दोनों निषाद हैं। अत: जिस राग में तीव्र गांधार प्रधान है उसे खमाज ठाठ से ही मानना उचित होगा। फिर भी यदि आपके अनुसार जैजैवन्ती में कोमल गान्धार को ही प्रधानता दी जाये तो इसका स्वरूप ध नि ग रे, नि ग रे, ग रे सा, म ग ग रे, ग म ग रे आदि होगा। आप देखेंगे कि इन स्वरों से जैजैवन्ती का भास होकर चम्पक दिखाई देता है। अब यदि इन्हीं स्वरों में कोमल के स्थान पर तीव्र गान्धार कर दिया जाय तो तुरन्त जैजैवन्ती प्रकट हो जायेगी। इसके अर्थ यही हुए कि जैजैवन्ती में तीन गान्धार मुख्य स्तर है। पर तीव्र गान्धार का कण देकर आने से राग अधिक स्पष्ट होता है। दूसरे, जैसा कि ऊपर कहा जा चुका है कि अलाप अथवा तान के अन्त में ही शुद्ध ऋषभ के बीच में ही कोमल गांधार लेते हैं अन्यथा सदैव आरोही-अवरोही में तीव्र गांधार हो प्रयुक्त होता है । इसलिये यह राग काकी ठाठ का न होकर खमाज ठाठ का ही है। वादी स्व र ऋषभ तथा सम्बादी पञ्चम है। गायन समय रात्रि द्वितीय प्रहर है। आरोह-सा रे ग म प नि सां और अवरोही सां नि ध प म ग रे, रे ग रे सा। मुख्यांग - रे ग रे सा ध नि गरे । इसी आधार पर अलाप निम्न प्रकार है :- ऋषभ सा रे, नि मा धनि रे, रे ग रे मा नि ध प, प रे, रे ग 5, रे ग म ग रे ग रे, नि धनि प रे, रे ग म प म ग रे ग रे, म प ग म रे ग रे, रे ग, ग म, म प, म ग रे ग रे, नि सा रे सा नि ध ऽ नि रे ऽ सा । रे ग म, सा रे, रे ग, ग म. नि सा रे ग म, प म, प ग म, रे ग म, प म ग ऽ रे, नि ध नि ध परेऽ, रे ग म प, ध प. ध म प, म ध प म ध नि धऽ प, ध म प म ग रे, सां नि ध प ध म प म ग रे ग रे, रे ग म प म ग रे ग रे मा. नि साध ऽ नि रे ऽ । ग म पनि ऽ नि सां, नि सां, नि ध नि रेंs, रें गं गं मं मं गं गं रें. रें गं रें सां, रे ग रे सा नि ध प रे , रे ग म प ध नि ध प, ध प म, प म ग, म ग रे, नि ध प म ग रे ग म प म ग रे, रे ग रे सा नि सा धऽ नि रे ऽ मा । ताने-१-नि सा रे ग म ग रे ग रे सा नि सा, नि सा रे ग म प म ग रे ग रे सा नि सा, नि सा रे ग म प ध प म प म ग रे ग रे सा नि सा, नितारे ग म प ध नि धं प, म ध प म, ग प म ग, रे ग रे सा नि सा, निसा रे ग म प नि नि सां नि ध य म ग म रे ग रे सा नि सा, ध नि रेऽ । २-रे गरे सा, ग म रे ग रे सा, ग म प म ग म रे ग रे सा, ग म प ध नि ध प म ग म रे ग रे सा, ग म प ध नि सा रे सां नि सां नि ध प म ग म रे ग रे सा, सांरें सां नि, ध नि ध प. म प म ग रे ग रे सा नि सा ध नि रे ऽ ।