पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/२२१

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सितार मालिका तानें- १-नि सा रे रे सा रे नि सा, नि सा ग म रे सा नि सा, नि सा ग म प प ग म रे सा नि सा, नि सा ग म पनि प म ग म रे सा नि सा, नि सा ग म प नि सा रे नि सां धनि प प म प ग म रे सा नि सा। २-म म प प ग म रे सा, प प नि नि म म प प ग म रे सा, सां सां रेंरें नि नि सां सां ध नि प प म म प प ग म रे सा, गं गं मं मं रें रें सां सां, सां सां रेंरें ध नि प प, म म प प ग म रे सा । ३-सा रे रे, रे म म, म प प, प नि नि, नि सां सां, सा रे, रे म, म प, पध, धु नि, नि सां, सा रे म म, रे म प प, म पनि नि, प नि सां सां, नि सां रें रें,सां रे नि सां, धनि प प म प ग म रे सा नि सा । २३-दुर्गा यह बिलावल अङ्ग का राग है। इसमें गान्धार निषाद वर्जित हैं, शेष स्वर हैं। जाति औड़व-औड़व है। वादी मध्यम तथा सम्बादी षड्ज है। गायन समय रात्रि का दूसरा प्रहर माना जाता है। आरोह में धैवत पर तथा अवरोह में ऋषभ पर ठहरने से राग तुरन्त स्पष्ट होता है। आरोह-सा रे म प ध सां और अवरोह–सां ध प म रे सा है। मुख्यांग-म प ध म रे ऽध सा। आलाप सा, ध सा, ध पध सा, रेऽध सा, सा रे म रे, सा रे सा धऽ सा, रे म प, मप ध, म रे, सा रे म प ध, म ध प, ध प म रे , ध म रे प, म ध प म रे, साध ध सा। रे म प ध, म प म ध प, म प ध सां, परें सां, ध ध म, रे रे प, म रे प म ध म प ध, सां धरें सां ध प म, रे म प म रे सा धु, सा रे ऽसा। म रे रे प, धम रे, ध म प म रे, सां ध प म प ध म रे, रें सां ध प म रे, रेम पध म, मप धसां ध, पध सारे सां, मं रें सां ध प म, रे म प ध, ध सां ध प म रे सा धध सा। तानें-- १-सा रे म म रे सा ध सा, सा रे म प म म रे सा ध सा, सा रे म प ध प म म रे सा घसा, सा रे म प ध सां रेंरें सां ध प म रे साध सा। २-मम रे, म म रे म म रे सा, प प म, पप म, प प म रे, ध ध प, ध ध प, ध ध प म, सां सां ध सां सां ध सां सां ध प, रे सा रे रे सा रे रे सांध, सां सां ध प, ध धपम, प प म रे, म मरेसा, ध सा रे सा। $