पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/२३४

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इक्कीसवां अध्याय २०३ पालाप- सा नि ध, नि सा, रे सा नि प, म पनि ध, नि सा, ग म प, ग म रे, सा, सा म, म प ग म, धु, नि प, म ध नि प, म नि ध, नि प, म प ग म, ध, नि सां, नि प, म प ग, म रे सा । सा म, ग म ध, नि सां, म नि ध, नि सां, रे रे सां, नि सां नि ध, निधs नि सां, रे नि सां, नि प म प ग म, नि प नि म प ग म, रे सां नि प म प ग म,रे, सा। नि सा रे सा नि मा म, प ग ऽ म, नि ध नि प म प ग म, सां नि प म प ग म, रे सां, रें नि सां, नि प म प ग म, नि ध ऽ नि सां, गंऽ मरें सां, रे नि सां नि प, म नि प, म प ग म प ग, म रे, सा। ताने- १–नि सा ग म रे सा नि मा, नि सा ग म प ग रे सा नि सा, नि सा ग म प नि म प ग म रे सा नि सा, नि सा ग म ध नि प प म पनि ध नि प, रें सां नि सां नि प म प ग म रे सा नि सा, नि सा ग म प प ग म नि ध नि सां, गं मं रें सां नि सां, नि प म प ग म रे सा नि सा । २–ग म ध नि सां सां नि सां, नि सां रेंरें मां रे नि सां, गं मं रें रें सां रें नि सां, नि प म प नि ध नि सां, रं सां नि मां नि प म प, नि नि म प ग म रे सा। ३–म म रे सा नि सा, प प ग म रे सा नि सा, नि नि प प म प ग म रे सा नि सा, नि ध नि सारें रे सा रे नि सां नि प म प ग म रे सा नि सा, गं मं रें सां नि सां, नि प म प ग म, ग म रे सा नि सा । ३८--बसन्त-बहार बहार राग को प्रायः अनेक रागों में, जैसे भैरव, हिंडोल, बसन्त, बागेश्री आदि में मिला देते हैं। इस प्रकार नवीन राग में जिन-जिन रागों का मिश्रण करते हैं, उनकी झलक स्पष्ट आती रहती है। इस प्रकार मिश्रण करने के दो ढङ्ग हैं। कुछ विद्वान तो सप्तक के पूर्वाङ्ग और उत्तराङ्ग में ही अर्थात् पूरी आरोही या अवरोही में ही दोनों रागों को स्पष्ट कर देते हैं जब कि कुछ विद्वान प्रारोही में एक राग रखते हैं और अवरोही में दूसरा । परन्तु ऐसा करते समय यह आवश्यक नहीं कि वह सदैव आरोही में एक ही राग रखें। जब चाहें तब, और जहाँ से चाहें वहां से, राग को बदल सकते हैं। परन्तु इस बात को ध्यान में सदेव रखते हैं कि राग की सुन्दरता नष्ट न होने पाये। इस प्रकार का एक कठिन और मधुर राग यह भी है। कठिन इसलिए है कि इसमें समस्त बारह के बारह स्वर प्रयुक्त होते हैं। चूँकि बसन्त और बहार दोनों में ऋषभ वर्जित है, अतः इसकी भी जाति षाड़व-सम्पूर्ण है। बादी स्वर तार पड्ज और सम्बादी पञ्चम है । गायन- समय बसन्त ऋतु है। यदि आरोह में बहार और अवरोह में बसन्त रख तो अारोहावरोह इस प्रकार होगा-सा म, प ग म, नि ध नि सां, रे सां नि ध प म ग, म ग रे सा । यदि इसके विपरीत प्रारोह में बसन्त और अवरोह में बहार रखें तो आरोहावरोह सा म, म ग, मधु नि सां, रें सां नि प, म प, गम, रे सा होगा । इसी आधार पर राग का मुख्याङ्गः-सा म, प ग म, नि ध प म ग म ग होगा। चूंकि दोनों