पृष्ठ:सितार-मालिका.pdf/९४

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दसवाँ अध्याय ७३ इसे श्राप मसीत खानी जैसा समझिये। परन्तु इसमें ४-५-६-७ और ८ वीं मात्रा में मिजराबों के बोल बदल दिये हैं। यहां ५३ वी मात्रा पर १३ और पांचवीं मात्रा पर ५ लिखा है। (२) दा दिर दा दा रा दिर दा दिर दा रा दा दिर दा रा दा रा . ५ १३ यह ढांचा १५ वी मात्रा से शुरू किया गया है। X (३) दा दिर दा दा रा दिड दा दिड दा रा दा दा रा दा दा रा १३ यहां ढांचे नं०१ में ही गति का प्रारम्भ बारहवीं मात्रा से करने के स्थान पर सातवीं से कर दिया गया है; अन्यथा मिजराबों के बोलों में कुछ भी अन्तर नहीं है। (४) दिड दा दिड दा रा डा रा दा रा दा रा दा दिर दा दा रा X o अब नं०४ के ढांचे को ही बारवी मात्रा से प्रारम्भ करने के स्थान पर सम से शुरू कर दीजिये। जैसे Y X O (५) दा रा दा रा दा रा दा दिर दा दा रा दिर दा दिर दा रा १३ अब तक हमने विलम्बित लय की गते बनाने के लगभग दस ढांचे बता दिये हैं। यदि इन ढांचों में से आपको कोई सुन्दर न लगे तो और नये ढांचे तैयार कर लीजिये। फिर, जिस ढांचे पर भी आप गति बजाना चाहें, उस ढांचे को "दिड दाड़ा" आदि बोलों पर कण्ठ कर लीजिये। किन्तु यदि आप इसे कण्ठ करने से पहिले ही गति बनाने की जल्दी करेंगे तो आपको अमफलता मिलेगी। अतः सर्व प्रथम ढांचे को कण्ठ करना चाहिये, फिर उसे ताल देकर सही कर लेना चाहिये। जब उसका वजन ( लय) आपके दिमाग में भली प्रकार बैठ जाय, तभी राग के स्वरों को उस ढांचे पर रचने का प्रयत्न करना चाहिये। इस प्रकार आप जिस राग की गति, जिस ढांचे पर तैयार करना चाहेंगे, आसानी से कर सकगे। यदि आप चाहें तो इनमें से किन्हीं भी दो ढांचों को एक जगह मिलाकर दो-दो आवृत्तियों की गतियाँ भी बना सकते हैं। उदाहरण के लिये नं० १ और नं०४ को मिलाकर देखिये।