पृष्ठ:सिद्धांत और अध्ययन.djvu/७५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

काव्य और कला-कलापों का वर्गीकरण उतनी और किसी कला में नहीं । नाटक काव्य और इतर कलाओं के संयोग का फल है। उसमें अभिनेताओं के सजीव माध्यम के प्रयोग के कारण अधिक सजीवता पाजाती है, तभी तो कहा है 'काव्येषु नाटकं रम्यम्। ___ काव्य का सङ्गीत से तो विशेष सम्बन्ध है ही किन्तु उसमें अन्य कलाओं का भी प्रतिनिधित्व हो जाता है। काव्य में वास्तुकला के एकता, पूर्णता, सन्तु- लन, अनुपात आदि के गुण वतमान रहते हैं। मूर्तिकला और चित्रकला-के-से उसमें चित्र रहते ही हैं, अन्तर केवल इतना है कि उसमें चित्र शब्दमय होते हैं। काव्य का वर्णनांश चित्रकला से ही सम्बन्धित है। वर्णन का सम्बन्ध देश से है और विवरण या प्रकथन ( Narration ) का सम्बन्ध काल से है । काव्य में सङ्गीत की तरलता, लय और गति भी है। इस प्रकार काव्य में सभी कलाओं के मूल तत्त्व प्राजाते है । जो बात नाटक के सम्बन्ध में कही गई है, वह काव्य के सम्बन्ध में भी सार्थक होती है। अन्तर इतना ही है कि नाटक में अन्य कलाओं का प्रतिनिधित्व स्थूल और सूक्ष्म दोनों ही रूप में होता है और काव्य में केवल सूक्ष्म रूप से ही होता है । फिर भी नाटक की भाँति काव्य के सम्बन्ध में कही हुई नीचे की उक्ति पूर्णतया सार्थक है । प्राचार्य भामह ने कहा है :--- 'म स शब्दो न तद्वाच्यं न स न्यायो न सा कला। जायते या काव्याङ्गमहो भारो महान् कवेः ॥' काव्यालङ्कार (१४) काव्य और अन्य कलाओं का पारस्परिक आदान-प्रदान भी होता रहता है। पाश्चात्य देशों में तो काव्य के बहुत से वाद, जैसे प्रभाववाद (impression- ism) वस्तुगत ब्युरे का वर्णन न करके मानसिक प्रभाव का वर्णन करना, चित्रकला आदि कलाओं से आये हैं । कविता के भावों को चित्रों में (विशेष- कर नायक-नायिका आदि सम्बन्धी) अवतरित किया जाता है । चित्रकला में भी रसनिष्पत्ति के लिए वास्तविकता का प्रादर्शीकरण और किसी अंश में साधारणीकरण भी रहता है। नायिकाओं के चित्रों में व्यक्ति की अपेक्षा सामान्य Type की ओर अधिक प्रवृत्ति रहती है । काव्य की भाँति ही चित्र- कला में भी सामान्य और व्यक्ति के समन्वय की समस्या आती है। बिहारी, विद्यापति आदि के काव्यमय वर्णनों के चित्र बनाये गये हैं। हमारे यहाँ के आचार्यों ने रसों के रङ्ग माने हैं, जैसे शृङ्गार का श्याम, रौद्र का लाल । इस प्रकार वर्णों द्वारा रसों और चित्रों का विशेष सम्बन्ध हो जाता है। काव्य की ही, भांति चित्रकला में भी (जिसमें मूर्ति भी शामिल है) प्रत्यक्ष और